Prayagraj News : वाराणसी में गंगा का रौद्र रूप, सड़कों और छतों पर हो रहा अंतिम संस्कार
Newsindia live,Digital Desk: मॉनसून की बारिश एक बार फिर उत्तर प्रदेश के कई शहरों के लिए मुसीबत बनकर बरस रही है। धर्मनगरी वाराणसी और संगम नगरी प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है और आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को हो रही है जो अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए वाराणसी के घाटों पर पहुंच रहे हैं, क्योंकि वहां अब चिता जलाने तक की जगह नहीं बची है।
घाट डूबे, गलियों और छतों पर जल रहीं चिताएं
वाराणसी में गंगा नदी हर घंटे लगभग 3 सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रही है। हालत यह है कि विश्व प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट, जहां मोक्ष की कामना लिए 24 घंटे शवदाह होता है, पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं। घाटों के डूब जाने के कारण अंतिम संस्कार के लिए आए लोगों को मजबूरी में घाटों से सटी तंग गलियों, छतों और ऊंचे चबूतरों का सहारा लेना पड़ रहा है।
स्थिति की भयावहता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोगों को एक-एक चिता जलाने के लिए 4 से 5 घंटे तक का लंबा इंतज़ार करना पड़ रहा है। शवों के साथ आए शोकाकुल परिजन इस मुश्किल घड़ी में और भी बेबस नज़र आ रहे हैं। गीली लकड़ियों और फिसलन भरी जगहों पर अंतिम क्रिया-कर्म करने में उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालात ऐसे हैं कि एक साथ कई चिताएं गलियों और छतों पर जल रही हैं, जिससे चारों ओर सिर्फ धुआं और लोगों की बेबसी दिखाई दे रही है।
प्रयागराज में भी हाल बेहाल
ऐसा ही कुछ हाल प्रयागराज का भी है, जहां गंगा और यमुना दोनों ही नदियां उफान पर हैं। दोनों नदियों का जलस्तर बढ़ने से संगम के पास के कई निचले इलाके पानी में डूब गए हैं और बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। स्थानीय प्रशासन ने इन इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया है और लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है।
लगातार बढ़ता जलस्तर न केवल आम जीवन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि आस्था और परंपराओं के निर्वहन में भी एक बड़ी चुनौती बन गया है। अब सभी को बस यही उम्मीद है कि जल्द से जल्द नदियों का जलस्तर घटे और स्थिति सामान्य हो।
--Advertisement--