Pongal 2025 Date: पोंगल क्यों मनाते हैं, जनवरी 2025 में ये कब है, इसका मकर संक्रांति से क्या संबंध

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पोंगल दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु, का प्रमुख पर्व है। यह त्योहार मकर संक्रांति के साथ मनाया जाता है और नई फसल के आगमन के साथ सूर्य देव की पूजा का प्रतीक है। पोंगल के माध्यम से प्रकृति, किसान, और पशुधन के प्रति आभार प्रकट किया जाता है। आइए जानते हैं, इस साल पोंगल कब है, इसका महत्व क्या है, और इसे कैसे मनाया जाता है।

पोंगल 2025 की तिथि

इस साल पोंगल का त्योहार 15 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो तमिलनाडु में नववर्ष के आगमन का प्रतीक भी है। पोंगल का आखिरी दिन मट्टू पोंगल कहलाता है, जो विशेष रूप से पशुधन पूजन के लिए समर्पित है।

पोंगल क्यों मनाया जाता है?

पोंगल का त्योहार प्रकृति और कृषि से जुड़ा हुआ है। यह संपन्नता, समृद्धि, और परिवारिक एकता का पर्व है।

  1. प्राकृतिक आभार प्रकट करना:
    • यह त्योहार प्रकृति की पूजा और उसके प्रति आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है।
    • सूर्य देव, वर्षा, और कृषि उत्पादों को समर्पित यह पर्व किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है।
  2. सामाजिक और पारिवारिक महत्व:
    • परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर इसे मनाते हैं।
    • यह आपसी प्रेम और सामंजस्य बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।
  3. पोंगल का अन्य त्योहारों से संबंध:
    • उत्तर भारत में मकर संक्रांति, पंजाब में लोहड़ी, और गुजरात में उत्तरायण के समान, तमिलनाडु में पोंगल का उत्सव मनाया जाता है।

पोंगल कैसे मनाया जाता है?

1. पहला दिन: भोगी पोंगल

  • पोंगल का पहला दिन भोगी के रूप में मनाया जाता है।
  • इस दिन घर की पुरानी और खराब वस्तुओं को होली की तरह जलाकर त्याग दिया जाता है।
  • लोग घर की सफाई करते हैं और नई वस्तुओं को घर लाते हैं।

2. दूसरा दिन: सूर्य पोंगल

  • इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है।
  • दूध, चावल, गुड़, और काजू से विशेष पोंगल का प्रसाद बनाया जाता है।
  • सूर्य देव को प्रसाद अर्पित कर परिवार और पड़ोसियों के साथ बांटा जाता है।

3. तीसरा दिन: मट्टू पोंगल

  • यह दिन पशुधन पूजन के लिए समर्पित है।
  • किसान अपने बैलों और गायों को नहलाकर सजाते हैं।
  • उनके गले में रंगीन वस्त्र, फूलों की माला, और घंटियां बांधी जाती हैं।

4. चौथा दिन: कानुम पोंगल

  • इस दिन लोग रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं और परंपरागत भोजन का आनंद लेते हैं।
  • यह दिन परिवार और समाज में प्रेम और सौहार्द बढ़ाने का प्रतीक है।

पोंगल उत्सव के अनुष्ठान और परंपराएं

  1. नए वस्त्र पहनना:
    पोंगल के दौरान लोग सुबह स्नान के बाद नए कपड़े पहनते हैं और पूजा करते हैं।
  2. पोंगल प्रसाद बनाना:
    • नए बर्तन में दूध, चावल, और गुड़ से पोंगल का प्रसाद बनाया जाता है।
    • प्रसाद सूर्य देव को अर्पित करने के बाद सभी में बांटा जाता है।
  3. रंगोली सजाना:
    • घर के आंगन को कोलम (रंगोली) से सजाया जाता है।
    • इसे चावल के आटे और प्राकृतिक रंगों से बनाया जाता है।
  4. गाय और बैलों की सजावट:
    • किसान अपने गाय-बैलों को स्नान कराकर रंगीन वस्त्र और आभूषण पहनाते हैं।
    • पशुधन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए पूजा की जाती है।
  5. पुरानी वस्तुओं का त्याग:
    • घर में पुरानी और अनुपयोगी वस्तुओं को जलाकर त्याग दिया जाता है।
    • यह नई शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।

पोंगल का महत्व

पोंगल केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और कृषि के साथ मानव जीवन के संबंध को भी दर्शाता है। यह त्योहार:

  • धन और समृद्धि का प्रतीक:
    यह त्योहार फसल कटाई के बाद नई फसल के आगमन का जश्न है।
  • कृषि और पशुधन का सम्मान:
    किसान और पशुधन की मेहनत को सराहा जाता है।
  • सामाजिक समरसता:
    यह त्योहार परिवार और समाज में प्रेम और एकता का संदेश देता है।