प्रदूषण की समस्या

29 12 2024 Pollution 9440348

प्रदूषण: स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के लिए खतरा

प्रदूषण न केवल जीव-जंतुओं के लिए, बल्कि देश की आर्थिक व्यवस्था के लिए भी अत्यंत हानिकारक है। इससे होने वाली बीमारियों के कारण सरकारों को भारी वित्तीय बोझ उठाना पड़ता है। बढ़ता प्रदूषण स्वास्थ्य संकट को जन्म देता है और जानलेवा बीमारियाँ फैलने का खतरा बढ़ता है।

प्रदूषण, प्रकृति के साथ खिलवाड़ का परिणाम है, और इसका सीधा असर हमारे पर्यावरण, कृषि, और स्वास्थ्य पर पड़ता है। दिसंबर के अंत तक, देश के अधिकांश राज्यों में बारिश की कमी ने कृषि संकट को जन्म दिया। हिमाचल प्रदेश और अन्य राज्यों में सूखा फैलने के कारण कृषि पर गंभीर संकट खड़ा हो गया था। बारिश की कमी से सूखे की स्थिति और भी विकट हो सकती है, जिससे सरकार को भारी भरकम राहत उपायों की जरूरत पड़ेगी। हमें यह भी समझना होगा कि वायु प्रदूषण कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है, और इसकी बढ़ती समस्या से निपटने के लिए सरकारों द्वारा कुछ पाबंदियां लगाई जा रही हैं।

वायु प्रदूषण: गंभीर चुनौती

वायु प्रदूषण लगातार एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। हाल ही में स्विस समूह IQAir ने दुनिया भर के प्रदूषित देशों की सूची जारी की, जिसमें भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल किया गया था। इसके अनुसार, पिछले साल 134 देशों में बांग्लादेश और पाकिस्तान के बाद भारत की वायु गुणवत्ता बेहद खराब थी। 2019 में ग्रीनपीस और एयर विजुअल की रिपोर्ट ने भी यही चेतावनी दी थी कि भारत के कई बड़े शहर प्रदूषण के संकट से जूझ रहे हैं। यह स्थिति भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।

प्रदूषण की गंभीरता: क्या सरकारें सचमुच गंभीर हैं?

यदि प्रदूषण की समस्या पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया, तो वह दिन दूर नहीं जब यह बढ़ता प्रदूषण बड़े संकटों का कारण बनेगा। दिल्ली और कुछ अन्य राज्यों में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है। इसके बावजूद, देश के केंद्र और राज्य स्तर पर पर्यावरण विभागों में बड़े-बड़े मंत्रियों और अधिकारियों को भारी वेतन और भत्ते मिलते हैं, और आम लोगों से ग्रीन टैक्स भी वसूला जाता है।

इनके द्वारा जुटाए गए करोड़ों रुपये प्रदूषण के समाधान के लिए कहां खर्च हो रहे हैं? फिर भी प्रदूषण को रोकने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे? क्या यह सच नहीं है कि चुनावों में आरक्षण, जातिवाद और धर्म जैसे मुद्दे ही प्रमुख होते हैं, जबकि प्रदूषण की समस्या को अनदेखा किया जाता है? यह साफ दिखाता है कि हमारी सरकारें प्रदूषण के मसले पर गंभीर नहीं हैं। वे केवल इस पर बयानबाजी करती हैं, लेकिन ठोस उपायों को लागू नहीं करतीं। प्रदूषण की बढ़ती समस्या पर सरकारों को जिम्मेदार ठहराना शायद सही नहीं होगा, क्योंकि यह समस्या सिर्फ सरकारी उपायों से नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयासों से ही हल हो सकती है।

समाज की भी जिम्मेदारी

वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के लिए केवल सरकार ही नहीं, हम सभी जिम्मेदार हैं। मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति से खिलवाड़ किया है और अब हम खुद ही इसके परिणाम भुगत रहे हैं। दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ जाता है कि यहां आपातकाल जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लोगों को चेतावनी दी जाती है कि वे घर से बाहर न निकलें। क्या यह स्थायी समाधान हो सकता है? कब तक हम अस्थायी उपायों के सहारे जीते रहेंगे? प्रदूषण को रोकने के लिए क्या हमें बच्चों और बुजुर्गों को हमेशा घर में बंद रखने के लिए मजबूर रहना होगा?

अगर प्रदूषण का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा, तो दिल्ली ही नहीं, देश के अन्य राज्यों में भी जीवन जीना मुश्किल नहीं, बल्कि असंभव हो जाएगा।

चीन से सीखें: प्रदूषण से निपटने के उपाय

इस बीच, हमें अपने पड़ोसी देश चीन से सीखने की जरूरत है, जिसने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। चीन में एक समय था जब वायु प्रदूषण के कारण हर साल बड़ी संख्या में मौतें हो रही थीं और बीजिंग प्रदूषण की राजधानी बन चुका था। लेकिन चीन ने इस समस्या को गंभीरता से लिया और राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता योजना लागू की। सरकार ने हरियाली बढ़ाने के लिए पौधारोपण को बढ़ावा दिया, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर नियंत्रण लगाया और इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए कदम उठाए।

चीन में केवल सरकार ने ही नहीं, बल्कि आम लोगों ने भी इस दिशा में प्रयास किए। उन्होंने प्रदूषण को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाने के साथ-साथ कड़े कदम भी उठाए। यदि भारत को प्रदूषण से निपटना है, तो हमें भी इस दिशा में जमीनी स्तर पर गंभीर कदम उठाने होंगे।

नैतिक जिम्मेदारी: प्रदूषण रोकने के उपाय

अगर हमें वायु प्रदूषण को रोकना है, तो हमें इसकी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करनी होगी। प्रदूषण के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने के लिए न केवल सरकार, बल्कि समाज के हर वर्ग को अपना योगदान देना होगा। जैसे चीन ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कठोर उपाय किए, वैसे ही भारत में भी वायु प्रदूषण की समस्या को सुलझाने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए। हमें यह समझना होगा कि प्रदूषण का समाधान हमारे सामूहिक प्रयासों पर निर्भर है, और इसे नियंत्रित करने में सरकार, उद्योग, और नागरिक समाज सभी का योगदान आवश्यक है।

अगर हम चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ियाँ एक स्वस्थ और साफ वातावरण में सांस लें, तो हमें आज से ही प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।