आजम खान की चिट्ठी पर सियासी हंगामा, केशव मौर्य का इंडिया गठबंधन पर तंज

Keshav Prasad Maurya

नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान की जेल से लिखी चिट्ठी ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। इस चिट्ठी को लेकर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया पर करारा तंज कसा है। उन्होंने कहा कि बेंगलुरु में शुरू हुआ इंडिया गठबंधन अब चुनाव नजदीक आते-आते कई टुकड़ों में बंट चुका है। केशव मौर्य ने फिल्मी गाने की एक लाइन का इस्तेमाल करते हुए कहा, “इंडी गठबंधन के टुकड़े अनेक हुए, कोई यहां गिरा, कोई वहां गिरा।”

राहुल गांधी के नेतृत्व पर उठा सवाल

केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि हरियाणा में तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनने और महाराष्ट्र में बीजेपी गठबंधन की भारी बहुमत से सरकार बनने के बाद विपक्षी दलों के बीच निराशा का माहौल है। उनका दावा है कि इंडिया गठबंधन के नेताओं का राहुल गांधी के नेतृत्व पर से भरोसा उठ चुका है। गठबंधन के दलों में अब खुद को बड़ा नेता साबित करने की होड़ मची हुई है। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के पास कोई भविष्य नहीं बचा है।

अखिलेश और राहुल के बीच मुस्लिम वोट बैंक की होड़

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बीच मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं में मुस्लिम वोटों को लुभाने की होड़ मची हुई है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अखिलेश को संभल में हुई हिंसा की याद दिलाकर आजम खान ने मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश की है।

आजम खान की चिट्ठी का मुद्दा

गौरतलब है कि जेल में बंद आजम खान ने अपनी चिट्ठी के जरिए अखिलेश यादव को संभल हिंसा के बहाने रामपुर में हुए अत्याचार और बर्बादी की याद दिलाई है। उन्होंने इस चिट्ठी के जरिए मुस्लिम समुदाय के वोटों को साधने की अपील की है। चिट्ठी में आजम खान ने अपने तीखे तेवर भी दिखाए हैं, जिससे सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई है।


इंडिया गठबंधन में मचा घमासान

डिप्टी सीएम केशव मौर्य के अनुसार, इंडिया गठबंधन में एकता सिर्फ दिखावे की है। असल में गठबंधन में शामिल दलों के बीच मतभेद और टकराव बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक ये दल आपसी झगड़ों में उलझे रहेंगे, तब तक बीजेपी के लिए राह आसान होगी।

सियासी भविष्य पर सवाल

आजम खान की इस चिट्ठी ने एक बार फिर विपक्ष के भीतर की खींचतान को उजागर कर दिया है। जहां एक ओर बीजेपी इसे विपक्ष की कमजोरी के तौर पर देख रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों के लिए यह चुनौती बन गई है।