महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और राज्य सरकार के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। हालात यह हैं कि शिंदे अब सरकार की अहम बैठकों से दूरी बनाने लगे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा बुलाई गई “वॉर रूम” बैठक में भी शिंदे शामिल नहीं हुए। इसके अलावा, उन्होंने शहरी विकास विभाग और जल आपूर्ति विभाग की समीक्षा बैठकें भी रद्द कर दीं।
सूत्रों के अनुसार, शिंदे की नाराजगी की मुख्य वजह पालकमंत्री पद को लेकर जारी गतिरोध है। रायगढ़ और नाशिक जिलों के पालकमंत्री पदों को लेकर विवाद बना हुआ है, जिसे अभी तक सुलझाया नहीं गया है।
शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की अदिति तटकरे (रायगढ़) और भाजपा के गिरीश महाजन (नाशिक) को पालकमंत्री बनाए जाने पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद इन नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई। शिवसेना ने भरत गोगावले को रायगढ़ और दादा भुसे को नाशिक के पालकमंत्री बनाने की मांग की है।
पहले उम्मीद थी कि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की बैठक से फडणवीस की वापसी के बाद यह विवाद सुलझ जाएगा, लेकिन मामला अब भी अटका हुआ है। इसके अलावा, चर्चा यह भी है कि 2022 में शिवसेना से अलग होकर सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री पद मिलने के बावजूद शिंदे शीर्ष नेतृत्व से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं।
शिंदे की लगातार बैठकों से दूरी और उनकी नाराजगी महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है।