परिसीमन को लेकर तमिलनाडु में सियासी हलचल, स्टालिन की केंद्र से बड़ी मांग

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लोकसभा सीटों के परिसीमन को लेकर बुधवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अगुवाई में 35 राजनीतिक दलों की एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की गई कि परिसीमन के लिए 1971 की जनगणना को ही आधार बनाया जाए और इसे अगले 30 साल तक बरकरार रखा जाए।

बैठक में दक्षिण भारत के राज्यों की लोकसभा सीटों में संभावित कटौती को लेकर चिंता जताई गई। स्टालिन ने साफ कहा कि परिसीमन ऐसा नहीं होना चाहिए, जिससे तमिलनाडु या अन्य दक्षिणी राज्यों की राजनीतिक ताकत कम हो।

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स्टालिन का तर्क: जनसंख्या नियंत्रण की सजा न मिले

एमके स्टालिन ने बैठक में कहा कि—
“तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण को गंभीरता से अपनाया है। यदि हमने परिवार नियोजन को बढ़ावा दिया है, तो इसकी सजा हमें नहीं मिलनी चाहिए।”

उन्होंने तर्क दिया कि—
 उत्तर भारत में जनसंख्या तेजी से बढ़ी है, जबकि तमिलनाडु ने परिवार नियोजन अपनाया, महिलाओं को सशक्त किया और सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं पर ध्यान दिया।
 यदि परिसीमन में नई जनगणना के आंकड़ों का उपयोग किया जाता है और दक्षिण भारतीय राज्यों की लोकसभा सीटें घटती हैं, तो यह अन्याय होगा।

स्टालिन ने कहा कि परिसीमन का मतलब सांसदों की संख्या बढ़ाना हो सकता है, लेकिन यह ऐसा नहीं होना चाहिए कि दक्षिण भारत की ताकत ही घट जाए।

बैठक में क्या फैसले लिए गए?

परिसीमन में 1971 की जनगणना को ही आधार बनाया जाए।
लोकसभा सीटों की संख्या अगले 30 वर्षों तक नहीं बदले।
परिवार नियोजन को प्रोत्साहित करने के लिए पूरे देश में समान नीति लागू की जाए।
संविधान में संशोधन कर यह सुनिश्चित किया जाए कि जनसंख्या वृद्धि के कारण किसी राज्य की राजनीतिक ताकत प्रभावित न हो।

AIADMK भी स्टालिन के समर्थन में, BJP ने बनाई दूरी

दिलचस्प बात यह रही कि इस बैठक में मुख्य विपक्षी पार्टी AIADMK के नेता भी शामिल हुए, जो अक्सर स्टालिन की नीतियों के विरोध में रहते हैं।

हालांकि, भाजपा और कुछ छोटे दल इस बैठक से दूर रहे। भाजपा ने स्टालिन पर आरोप लगाया कि वह कानून व्यवस्था से ध्यान भटकाने के लिए परिसीमन का मुद्दा उछाल रहे हैं।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई और गृहमंत्री अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि—
“दक्षिण भारत की लोकसभा सीटें कम नहीं की जाएंगी।”

परिसीमन विवाद: मुद्दे की जड़ क्या है?

लोकसभा सीटों का परिसीमन हर 10 साल में होने वाली जनगणना के आधार पर किया जाता है।
 लेकिन 1976 में इंदिरा गांधी सरकार ने फैसला लिया था कि 2001 तक परिसीमन नहीं किया जाएगा ताकि राज्यों को जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 2000 में भरोसा दिया था कि 1971 की जनगणना को ही आधार बनाया जाएगा।
अब 2026 में फिर से परिसीमन होने वाला है, जिससे दक्षिण भारत की लोकसभा सीटें घटने का खतरा है।

स्टालिन ने मांग की है कि—
“जिस तरह वाजपेयी सरकार ने 1971 की जनगणना को आधार बनाया था, उसी तरह पीएम मोदी को भी भरोसा देना चाहिए कि 2026 के परिसीमन में यह पैमाना बना रहेगा।”