दिल्ली की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। भले ही इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) का हिस्सा होने के नाते आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस एक साथ हैं, लेकिन दोनों पार्टियां एक-दूसरे को कोई रियायत देने के मूड में नहीं हैं।
आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है, ताकि आम आदमी पार्टी को कड़ी चुनौती दी जा सके।
कांग्रेस की खोई जमीन वापस पाने की कोशिश
दिल्ली में कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाना।
- पार्टी इस बार आक्रामक रणनीति के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।
- प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा:
“हमारा लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं तक पहुंचकर उनका समर्थन हासिल करना है।”
- कांग्रेस ने चुनाव में प्रदेश के बड़े चेहरों को उतारने की योजना बनाई है।
पिछले चुनावों में कांग्रेस की कमजोरी
पिछले कुछ चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन दिल्ली में बेहद खराब रहा है।
- 2020 विधानसभा चुनाव:
- कांग्रेस का वोट प्रतिशत गिरकर 4.26% पर आ गया, जबकि 2013 में यह 24.6% था।
- 2024 लोकसभा चुनाव:
- कांग्रेस का वोट प्रतिशत 2019 की तुलना में करीब 4% कम हुआ।
कांग्रेस के लिए यह गिरावट पार्टी की स्थिति को मजबूत करने की चुनौती पेश कर रही है।
गठबंधन से ‘आप’ को फायदा, कांग्रेस को नुकसान
2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आप ने गठबंधन किया था।
- हालांकि, इस गठबंधन से कांग्रेस को कोई खास फायदा नहीं हुआ।
- वहीं, आम आदमी पार्टी ने अपने वोट प्रतिशत में इजाफा किया।
- प्रदेश कांग्रेस नेताओं का मानना है कि अब आप के खिलाफ पूरी ताकत से चुनाव लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
आक्रामक प्रचार रणनीति पर जोर
रणनीतिकारों का सुझाव है कि कांग्रेस को भाजपा विरोधी वोटों के बंटवारे के दबाव में नहीं आना चाहिए।
- मजबूती से चुनाव लड़ना:
- पार्टी को आक्रामक प्रचार करना होगा और अपनी योजनाएं और नीतियां मतदाताओं तक पहुंचानी होंगी।
- बड़े नेताओं की भूमिका:
- मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, और अन्य शीर्ष नेताओं को प्रचार अभियान में उतारने की योजना बनाई जा रही है।
‘आप’ सरकार पर हमलावर कांग्रेस
कांग्रेस ने आप सरकार पर निशाना साधने की रणनीति अपनाई है।
- दिल्ली के मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस लगातार हमलावर है।
- पार्टी का फोकस यह दिखाने पर है कि आप सरकार ने दिल्ली के विकास में वादों को पूरा नहीं किया।