Political Activity intensifies in Rajasthan: अंता सीट पर होगा दिलचस्प उपचुनाव सबकी निगाहें टिकी
News India Live, Digital Desk: राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर जल्द ही उपचुनाव का बिगुल बजने वाला है। यह सीट मौजूदा कांग्रेस विधायक प्रमोद जैन भाया के राज्यसभा सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है। भाया कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं और लगातार कई बार इस सीट से जीतते आ रहे थे, जिसके कारण यह सीट उनके गढ़ के तौर पर पहचानी जाती थी। अब इस 'मंत्री वाली' सीट पर होने वाला उपचुनाव कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है।
कांग्रेस के लिए इस सीट पर जीत बरकरार रखना एक चुनौती होगी। जहां एक ओर भाया शायद किसी अपने करीबी को टिकट देने की वकालत कर सकते हैं, वहीं दूसरी ओर पार्टी को राहुल गांधी के उस फार्मूले का भी पालन करना पड़ सकता है, जिसके तहत लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने किसी नए चेहरे को तरजीह दी थी। ऐसे में अंता से कौन चुनावी मैदान में उतरेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। पार्टी को एक ऐसे दमदार उम्मीदवार की तलाश है जो प्रमोद जैन भाया की विरासत को आगे बढ़ा सके और बीजेपी के संभावित मजबूत प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दे।
वहीं, बीजेपी इस उपचुनाव को अपने पाले में करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहेगी। देशभर में 'मोदी की गारंटी' के सहारे जिस तरह का माहौल बना है, उससे बीजेपी को फायदा होने की उम्मीद है। वे इस समय एक ऐसे मजबूत उम्मीदवार की तलाश में हैं जो अंता में कमल खिला सके और पार्टी की सत्ता को मजबूत कर सके। बीजेपी यहां के स्थानीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए रणनीतिक चालें चल रही है ताकि कोई गलती न हो।
इस सियासी बिसात में एक नया और महत्वपूर्ण मोहरा बनकर उभरे हैं युवा आदिवासी नेता नरेश मीणा। हालांकि नरेश मीणा फिलहाल जेल में बंद हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता और हाल ही में उनका एक वायरल वीडियो, जिसमें उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को 'चुनावी साजिश' बताया था, ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। उनका आरोप है कि उन्हें जानबूझकर गिरफ्तार किया गया ताकि वे लोकसभा और अंता उपचुनाव में हिस्सा न ले सकें।
नरेश मीणा कोई नए चेहरे नहीं हैं। उन्होंने सपौ विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के खिलाफ भी चुनाव लड़ा था और 18,000 से अधिक वोट हासिल किए थे, जिससे वे केवल 3,500 वोटों के अंतर से हारे थे। मीणा को खासकर युवाओं, एसटी (अनुसूचित जनजाति) और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय का मजबूत समर्थन प्राप्त है। अगर उन्हें कांग्रेस से टिकट नहीं मिलता है, तो वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी चुनाव लड़ सकते हैं, जिससे अंता सीट का समीकरण पूरी तरह से बदल सकता है और यह उपचुनाव और भी रोमांचक हो जाएगा।
--Advertisement--