रोहित वेमुला मामले में आरोपितों को क्लीन चिट, पुलिस ने माना नहीं था दलित

नई दिल्ली, 3 मई (हि.स.)। तेलंगाना और देश की राजनीति में रोहित वेमुला की मौत एक बड़ा मुद्दा रहा है। अब इस मामले में पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है। इसमें पुलिस ने कहा है कि रोहित काफी समय से मानसिक दवाब में था। उसे यह भी डर था कि उसकी दलित न होने की बात उजागर हो सकती है। मामले में पुलिस ने सभी आरोपितों को क्लीन चिट दे दी है, जिसमें भाजपा नेता और एबीवीपी कार्यकर्ता शामिल हैं।

विपक्ष इसको लेकर भाजपा पर निशाना साधता रहा है और उसे दलित विरोधी बताता रहा है। वर्तमान में तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है। कांग्रेस लगातार इस मामले को उठाती रही है।

पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रोहित वेमुला ने आत्महत्या की थी। आत्महत्या के पीछे कई कारण थे। वह पढ़ाई में काफी पीछे था और राजनीति में अधिक सक्रिय था। उसकी मां ने उसके लिए दलित होने का नकली सर्टिफिकेट तैयार कराया था। उसे डर था कि कहीं इस बात का खुलासा न हो जाए।

पुलिस ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में तत्कालीन सिकंदराबाद के सांसद बंडारू दत्तात्रेय, विधान परिषद के सदस्य एन रामचंदर राव और कुलपति अप्पा राव, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नेताओं और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को दोषमुक्त माना है। रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि बहुत प्रयासों के बावजूद यह स्थापित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिल सका कि आरोपितों के चलते मृतक आत्महत्या के लिए प्रेरित हुआ था।

उल्लेखनीय है कि 17 जनवरी 2016 को हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में 26 वर्षीय रोहित ने अपने छात्रावास के कमरे में आत्महत्या कर ली थी। अगले दिन से मुद्दा राजनीतिक बन गया था। परिसर सहित देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे। इसके जरिए मोदी सरकार पर निशाना साधा जाने लगा था।