
BIMSTEC शिखर सम्मेलन से पहले थाईलैंड के प्रधानमंत्री पेतोंगतार्न शिनवात्रा द्वारा आयोजित आधिकारिक डिनर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है। इस डिनर की एक तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस और नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. ओली एक साथ नजर आए। यह पहली बार है जब बांग्लादेश में हसीना सरकार के पतन के बाद पीएम मोदी और यूनुस एक मंच पर दिखे हैं।
क्या है इस तस्वीर की रणनीतिक अहमियत?
तस्वीर सिर्फ एक डिनर की नहीं, बल्कि भारत के पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों की जटिलता को बयां करती है। बांग्लादेश और नेपाल, दोनों ही देशों की मौजूदा राजनीतिक स्थिति भारत के लिए चिंता का विषय रही है। ऐसे में मोदी और यूनुस की एक ही फ्रेम में उपस्थिति एक राजनीतिक संकेत के रूप में देखी जा रही है। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों नेताओं के बीच किसी तरह की बातचीत हुई या नहीं।
क्या डिनर के दौरान कोई संवाद हुआ?
खबरों के अनुसार, चाओ फ्राया नदी के किनारे होटल ‘शांगरी-ला’ में आयोजित डिनर में मोदी और यूनुस पास-पास बैठे नजर आए। यूनुस के कार्यालय की ओर से साझा की गई तस्वीरों में दोनों नेता साथ बैठे जरूर दिखे, लेकिन दोनों की नजरें एक-दूसरे की ओर नहीं थीं। इससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि संभवतः कोई सीधी बातचीत नहीं हुई।
बांग्लादेश की कोशिशें और भारत की चुप्पी
बांग्लादेश की ओर से यह अपेक्षा की गई थी कि बैंकॉक में पीएम मोदी और यूनुस के बीच द्विपक्षीय वार्ता हो। हालांकि भारत सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। बांग्लादेश में हसीना सरकार के बाद की स्थिति, अल्पसंख्यकों पर हुए हमले और यूनुस द्वारा चीन के समर्थन में दिए गए बयानों के बाद भारत-बांग्लादेश रिश्तों में तनाव की स्थिति बनी हुई है।
बिम्सटेक में मिल सकती है बात की गुंजाइश
शुक्रवार को बिम्सटेक की अध्यक्षता बांग्लादेश को सौंपी जाएगी। इस दौरान दोनों देशों के नेता आपसी मुद्दों पर विचार कर सकते हैं। बांग्लादेश के प्रतिनिधि खलीलुर रहमान ने भी संकेत दिया है कि पीएम मोदी और यूनुस के बीच बैठक की संभावनाएं मौजूद हैं। भारत की ओर से इस पर कोई पुष्टि नहीं हुई, लेकिन पिछले सप्ताह पीएम मोदी द्वारा यूनुस को लिखा गया पत्र एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
मोदी का पत्र: रिश्तों को सामान्य करने की पहल?
बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने मोहम्मद यूनुस को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने भारत-बांग्लादेश के साझा इतिहास और आपसी संवेदनशीलता को मजबूत करने पर जोर दिया था। पत्र में यह उल्लेख भी किया गया कि दोनों देश शांति, स्थिरता और समृद्धि की दिशा में मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
एस. जयशंकर का बयान: अप्रत्यक्ष संदेश?
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बिम्सटेक सम्मेलन में अपने संबोधन में पूर्वोत्तर भारत के कनेक्टिविटी नेटवर्क की चर्चा की और बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में भारत की भूमिका को रेखांकित किया। यह बयान मोहम्मद यूनुस के उस बयान के संदर्भ में देखा जा रहा है जिसमें उन्होंने चीन के सामने बांग्लादेश को महासागर का ‘संरक्षक’ बताया था।
भारत की चिंता: चरमपंथ और अल्पसंख्यकों पर हमले
भारत बांग्लादेश में हाल के घटनाक्रमों को लेकर विशेष रूप से सतर्क है। हसीना सरकार के पतन के बाद से कट्टरपंथियों को बरी किए जाने और अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ने से भारत ने गंभीर चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय ने बार-बार इन मुद्दों को उठाया है और बांग्लादेश से स्थिर और समावेशी व्यवस्था की अपेक्षा जताई है।
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