दोपहर में सोते समय लोग करते हैं ऐसी गलतियां, रात की नींद पर पड़ता है बुरा असर

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दोपहर की नींद बहुत आरामदायक होती है, लेकिन इसके साथ ही हमें कुछ चीजों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, वरना यह हमारी सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है।

दिन में सोने की गलतियाँ:  दोपहर की नींद, जिसे अक्सर ‘पावर नैप’ या ‘दोपहर की झपकी’ कहा जाता है, थकान दूर करने और तरोताजा होने का एक शानदार तरीका हो सकता है। खासकर उन लोगों के लिए जो सुबह जल्दी उठ जाते हैं या रात में पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं। हालांकि, दोपहर की नींद को लेकर कई लोग कुछ सामान्य गलतियां करते हैं, जो उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।

1. बहुत देर तक सोना

दोपहर में सोना कई बार अच्छा लगता है, लेकिन ज़्यादा देर तक सोने से शरीर का प्राकृतिक नींद चक्र गड़बड़ा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, दोपहर की नींद 20 से 30 मिनट की होनी चाहिए। इससे शरीर तरोताज़ा हो जाता है और आप पूरे दिन ऊर्जावान महसूस करते हैं। अगर आप एक घंटे या उससे ज़्यादा सोते हैं, तो आपको ‘स्लीप इनर्शिया’ का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें आप जागने के बाद आलस और सुस्ती महसूस करते हैं। 

2. गलत समय पर सोना

दोपहर की नींद के लिए सही समय भी महत्वपूर्ण है। दोपहर 1 से 3 बजे के बीच सोना आदर्श माना जाता है क्योंकि इस समय शरीर का ऊर्जा स्तर स्वाभाविक रूप से कम होता है। इस समय के बाद सोने से आपकी रात की नींद प्रभावित हो सकती है, जिससे रात को सोने में दिक्कत हो सकती है और आपकी नींद का चक्र गड़बड़ा सकता है।

3. भारी भोजन के तुरंत बाद सो जाना

दोपहर के भोजन के बाद अक्सर नींद आती है, लेकिन भारी भोजन के तुरंत बाद सोने से पाचन क्रिया प्रभावित हो सकती है। इससे गैस, एसिडिटी और पेट की अन्य समस्याएं हो सकती हैं। अगर आप भोजन के तुरंत बाद सो जाते हैं, तो पेट में एसिड बढ़ने की भी संभावना रहती है, जिससे सीने में जलन या अपच की समस्या हो सकती है। बेहतर है कि भोजन के बाद थोड़ी देर टहलें और फिर आराम करें।

4. अंधेरे और अधिक आरामदायक वातावरण में सोना

दोपहर में सोने की बात करें तो कई लोग कमरे को पूरी तरह से अंधेरा और ठंडा रखते हैं, जिससे गहरी नींद आती है। हालांकि, दोपहर की नींद हल्की और छोटी होनी चाहिए। ज़्यादा आरामदायक माहौल में आप गहरी नींद सो सकते हैं, जिससे जागने के बाद सुस्ती और थकान महसूस नहीं होती।

5. हर दिन झपकी लें

दोपहर की झपकी को आपातकालीन उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए और इसे नियमित दिनचर्या का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। हर दिन दोपहर में सोने से आपकी बॉडी क्लॉक बाधित हो सकती है, जिसका असर रात की नींद पर पड़ता है।