सोमवार सुबह दिल्ली और आसपास के इलाकों में तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोग घबराकर घरों से बाहर निकल आए। भूकंप के दौरान तेज आवाज भी सुनाई दी, जिसने दहशत और बढ़ा दी। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.0 मापी गई, जबकि भूकंप का केंद्र दिल्ली में ही था, जिसकी गहराई 5 किलोमीटर बताई गई है। केंद्र राजधानी के करीब होने के कारण इमारतों में तेज कंपन हुआ, हालांकि किसी बड़े नुकसान की कोई खबर नहीं है।
गौरतलब है कि 23 जनवरी को भी दिल्ली में भूकंप आया था, और अब एक महीने के भीतर फिर से झटके महसूस किए गए, जिससे लोगों में चिंता बढ़ गई है।
दिल्ली-एनसीआर में बार-बार क्यों आते हैं भूकंप?
दिल्ली और एनसीआर के साथ-साथ इसके पड़ोसी राज्यों में भी भूकंप के झटके लगातार महसूस किए जाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह इलाका भूकंपीय रूप से संवेदनशील ज़ोन में आता है।
दिल्ली किस भूकंपीय जोन में आता है?
भारत को सिस्मिक ज़ोन 2 से लेकर ज़ोन 5 तक में बांटा गया है, जिसमें ज़ोन 5 को सबसे खतरनाक माना जाता है। हालांकि, दिल्ली सिस्मिक ज़ोन 4 में आता है, जो उच्च जोखिम वाला क्षेत्र है। यहां 8 से 9 तीव्रता के भूकंप आने की संभावना बनी रहती है, जिससे राजधानी पर एक बड़े खतरे का अंदेशा हमेशा बना रहता है।
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दिल्ली के भूकंप संभावित क्षेत्र
दिल्ली को भूकंपीय संवेदनशीलता के आधार पर तीन हिस्सों में बांटा गया है:
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अत्यधिक जोखिम वाले क्षेत्र
- यमुना किनारे बसे इलाके
- उत्तरी दिल्ली
- दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के कुछ हिस्से
- दिल्ली विश्वविद्यालय (नॉर्थ कैंपस), सरिता विहार, वजीराबाद, रिठाला, जहांगीरपुरी, बवाना और जनकपुरी इस जोन में आते हैं।
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खतरे वाले इलाके
- इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट
- बुराड़ी, नजफगढ़ आदि इस क्षेत्र में आते हैं।
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मध्यम जोखिम वाले क्षेत्र
- लुटियंस जोन (जहां संसद भवन और मंत्रालय स्थित हैं)
- एम्स, नारायणा और जेएनयू सुरक्षित जोन में आते हैं।
भारत के अन्य भूकंप संवेदनशील इलाके
भारत के कुछ इलाके भूकंप की दृष्टि से सुरक्षित माने जाते हैं, जबकि कुछ क्षेत्र मध्यम और उच्च जोखिम वाले ज़ोन में आते हैं।
सुरक्षित क्षेत्र
- हैदराबाद, बेंगलुरु, कोरोमंडल तट और मध्य भारत के कुछ इलाके भूकंप की दृष्टि से सुरक्षित माने जाते हैं।
मध्यम जोखिम वाले क्षेत्र (सिस्मिक जोन 3 और 4)
- कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और भुवनेश्वर मध्यम जोखिम वाले क्षेत्रों में आते हैं।
- लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, पंजाब और हरियाणा सिस्मिक ज़ोन 4 में आते हैं, जहां भूकंप का खतरा बना रहता है।
भूकंप क्यों आते हैं?
धरती के अंदर टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराने और उनके खिसकने के कारण भूकंप आते हैं। जब ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकराती हैं, तो ऊर्जा रिलीज़ होती है, जिससे धरती हिलती है और भूकंप के झटके महसूस होते हैं।
दिल्ली-एनसीआर का इलाका कई सक्रिय फॉल्ट लाइनों (जैसे मुरादाबाद फॉल्ट, सोहना फॉल्ट और दिल्ली-हरिद्वार रिज) के पास स्थित है, जिसके कारण इस क्षेत्र में बार-बार भूकंप आते रहते हैं।