60 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों को दिल्ली की दमघोंटू हवा में सुबह की सैर पर नहीं जाना चाहिए

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देश की राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जिसका असर आम आदमी ही नहीं बल्कि बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को माना कि वायु प्रदूषण के कारण उन्होंने अपनी सुबह की सैर बंद कर दी है। उनके डॉक्टर ने उन्हें वायु प्रदूषण के कारण बाहर न निकलने की सलाह दी है, ताकि सांस संबंधी बीमारियों के खतरे को कम किया जा सके।

एपिटोम हॉस्पिटल (नई दिल्ली) में पल्मोनोलॉजी और क्रिटिकल केयर के वरिष्ठ सलाहकार और प्रमुख डॉ. आशीष अरोड़ा ने कहा कि वायु प्रदूषण बुजुर्गों के लिए अधिक खतरनाक है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे उन्हें श्वसन संक्रमण और अन्य बीमारियों का खतरा अधिक होता है। प्रदूषण में पाए जाने वाले हानिकारक कण जैसे पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और ओजोन (O3) उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को और कमजोर कर सकते हैं, जिससे निमोनिया और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

इसके अलावा, बुज़ुर्ग नागरिकों में पहले से ही फेफड़ों से जुड़ी बीमारियाँ जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ (सीओपीडी) और अस्थमा होने की संभावना ज़्यादा होती है। वायु प्रदूषण इन बीमारियों के लक्षणों को और भी बदतर बना सकता है, जिससे अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम बढ़ जाता है। प्रदूषण में पाए जाने वाले सूक्ष्म कण श्वसन पथ में सूजन पैदा करते हैं, फेफड़ों की कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं और शरीर के महत्वपूर्ण अंगों तक ऑक्सीजन की आपूर्ति को कम कर सकते हैं।

हृदय रोग का खतरा

वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से दिल का दौरा, स्ट्रोक, अनियमित दिल की धड़कन और दिल की विफलता का खतरा बढ़ सकता है, खासकर बुजुर्गों और पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों के लिए। लंबे समय तक संपर्क में रहने से मौत का खतरा भी बढ़ जाता है। शोध में पाया गया है कि वायु प्रदूषण एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों में प्लाक का निर्माण) को बढ़ावा दे सकता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।

संज्ञानात्मक गिरावट में कमी

इसके अलावा, हाल के अध्ययनों से संकेत मिला है कि वायु प्रदूषण बुजुर्गों में संज्ञानात्मक गिरावट का कारण भी बन सकता है, जैसे अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियाँ। सरकार को बुजुर्गों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है। नागरिकों को भी इन नियमों का पालन करना चाहिए। वरिष्ठ नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे प्रदूषण के चरम घंटों के दौरान घर के अंदर रहें और स्वच्छ वातावरण में शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा दें।