पटना, 27 जुलाई (हि.स.)। पटना हाई कोर्ट ने शनिवार को पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए कहा कि दो लीटर शराब पकड़ने के मामले को पुलिस ऐसे बताती है कि उसने किसी कुख्यात को गिरफ्तार कर लिया हो। जस्टिस सत्यव्रत वर्मा की एकल पीठ ने 11 महीने पहले भोजपुर जिले से लापता हुई एक नाबालिग लड़की का पता लगाने में असफल पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए यह टिप्पणी की। जस्टिस सत्यव्रत वर्मा ने सियाराम पासवान की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट में उपस्थित भोजपुर के एसपी को फटकार लगाई।
जस्टिस सत्यव्रत वर्मा ने सुनवाई के दौरान भोजपुर एसपी को फटकार लगाते हुए कहा कि मोबाइल और चेन स्नेचिंग के अपराधी अनियंत्रित हुए जा रहे हैं। डेढ़-दो लीटर शराब जब्त कर पुलिस ऐसा दर्शाती है जैसे कोई कुख्यात अपराधी पकड़ लिया हो। 2023 में नवंबर से गायब हुई नाबालिग लड़की के पिता ने अपहरण मामले में आरोपित याचिकाकर्ता सियाराम के पुत्र को बनाया है। कोर्ट ने भोजपुर के एसपी से पूछा कि लड़की की बरामदगी के लिए क्या कदम उठाए। एसपी संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। क्योंकि, उनका स्थानांतरण पिछले महीने ही भोजपुर हुआ था। एसपी ने बताया कि उन्हें कुछ सुराग मिले हैं।
जस्टिस वर्मा ने कहा कि यह ठोस कदम नए एसपी के आने के बाद हुआ, उसके पहले पुलिस क्या कर रही थी ? कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी कर पूछा कि ऐसी दक्षता वाले पुलिस अफसर अपराध नियंत्रित कैसे करेंगे! कोर्ट ने कहा कि दारोगा और हवलदार केवल शराब पकड़ने में अपनी दक्षता दिखाते हैं। भोजपुर एसपी ने एक महीने में अपहृत लड़की की बरामदगी का आश्वासन कोर्ट को दिया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में ढिलाई बरतने वाले थानेदार और अनुसंधानकर्ता को जरूरत पड़ने पर निलंबित भी करेंगे। कोर्ट ने हिदायत दी की यदि 26 अगस्त तक अपहृत लड़की बरामद होकर मजिस्ट्रेट के कोर्ट में पेश नहीं की गई, तब अगली सुनवाई की तारीख को भोजपुर एसपी समेत संबंधित सभी पुलिस कर्मियों को हाई कोर्ट में उपस्थित रहना होगा।