पत्थरचट्टा स्वास्थ्य लाभ: शरीर में पथरी की समस्या आजकल आम बात हो गई है। ऐसे में लोग प्राकृतिक रूप से उपलब्ध जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करके सर्जरी से बच सकते हैं। आयुर्वेद में पथरी की समस्या को दूर करने में पत्थरचट्टा के पत्तों का विशेष महत्व है।
इस संबंध में आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ प्रभात कुमार ने इसके उपयोग के बेहतर तरीकों के बारे में जानकारी साझा की. डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि आयुर्वेदिक चिकित्सा में पत्थरचट्टा को पाषाण भेदा भी कहा जाता है. जिसका अर्थ है पत्थरों को छेदने वाला।
यह 0.5 मिली से 2.5 मिली तक की पथरी को आसानी से घोलकर शरीर से बाहर निकाल देता है। इसके पत्ते स्वाद में खट्टे और नमकीन होते हैं। पत्थरचट्टा की पत्तियों का उपयोग पेट से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए भी किया जाता है।
बवासीर की समस्या से राहत दिलाता है
। बवासीर की समस्या को दूर करने में भी यह काफी फायदेमंद माना जाता है। अगर किसी व्यक्ति को लगातार 5 महीने तक कब्ज की शिकायत रहती है तो उसे बवासीर है। बवासीर की समस्या से छुटकारा पाने के लिए पत्थरचट्टा की पत्तियों को पीसकर एक चम्मच सुबह और एक चम्मच शाम को सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है।
इसके अलावा पत्थरचट्टा की चार-पांच पत्तियां लेकर उसे अच्छे से साफ करके एक गिलास पानी में अच्छे से उबालकर उसका रस सुबह-शाम पीना चाहिए। इसके साथ ही अगर 12 साल से कम उम्र के बच्चे पथरी की समस्या से पीड़ित हैं तो उन्हें पत्थरचट्टा का रस दो चम्मच सुबह और दो चम्मच शाम को पीना चाहिए।