पेरेंटिंग टिप्स : भागदौड़ भरी जिंदगी में बच्चों में फास्ट फूड या जंक फूड खाने का चलन बढ़ गया है। ज्यादातर बच्चे पिज्जा, बर्गर, मैगी, नरूडल्स और कोल्ड ड्रिंक जैसे फास्ट फूड खाना पसंद करते हैं। ये खाद्य पदार्थ बच्चों की सेहत और खासकर उनके दांतों पर बुरा असर डालते हैं। आइए आपको बताते हैं कि बच्चों के दांतों की देखभाल के बारे में विशेषज्ञ क्या कहते हैं-

बचपन से ही ध्यान देना जरूरी
बच्चे के चीनी और नमक के सेवन पर बचपन से ही ध्यान देना जरूरी है। आंकड़ों की बात करें तो राजधानी के तीन बड़े सरकारी अस्पतालों एम्स, जेपी और हमीदिया में एक साल में पांच साल तक के दस हजार से ज्यादा बच्चे ऐसे आए हैं, जिनकी बीमारी चीनी-नमक के कारण होती है।

टाइप-1 डायबिटीज के पांच हजार मामले
14 साल से कम उम्र के बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज के पांच हजार मामले ओपीडी में आ रहे हैं और हर साल ऐसे डायबिटीज के करीब सौ नए मामले बढ़ रहे हैं। टाइप-1 डायबिटीज ज्यादातर बच्चों में देखी जाती है जबकि टाइप-2 डायबिटीज वयस्कों में बढ़ रही है।

बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार चीनी का सेवन रक्त शर्करा प्रबंधन को प्रभावित करता है और बच्चों में टाइप -1 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए नमक और अतिरिक्त चीनी बच्चों की किडनी, आंखों और रक्तचाप पर असर डाल रही है।

आंखों और पाचन पर असर
बाल रोग विशेषज्ञों के मुताबिक, 4 से 6 साल के बच्चों को एक दिन में 19 ग्राम से ज्यादा चीनी नहीं खानी चाहिए। अगर कोई बच्चा बहुत अधिक चीनी या नमक खाता है तो इससे उसकी आंखों को नुकसान पहुंच सकता है और किडनी पर भी असर पड़ सकता है। बहुत अधिक चीनी या नमकीन खाना खाने से बच्चे में पाचन संबंधी समस्याएं, उच्च रक्तचाप और अस्थमा हो सकता है।

सफेद चीनी में ‘नग्न कैलोरी’ होती है। इससे ऊर्जा मिलती है, लेकिन पोषण नहीं. बच्चों के लिए बेहतर विकल्प गुड़ या ब्राउन शुगर हो सकता है, जिसमें एंटी-ऑक्सीडेंट गुण और पोषक तत्व होते हैं।

गुड़ का अधिक सेवन न करें
गुड़ में क्रोमियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज और जिंक जैसे खनिज होते हैं। जबकि ब्राउन शुगर में क्लोरीन, आयरन, पोटैशियम और सोडियम होता है। लेकिन यह भी बच्चे को एक साल से पहले और जरूरत से ज्यादा नहीं देना चाहिए।