पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विवि प्राचीन भारतीय ज्ञान परम्परा का उत्कृष्ट उदाहरणः मंत्री परमार

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उज्जैन, 17 अगस्त (हि.स.)। उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष विभाग मंत्री इंदर सिंह परमार शनिवार को पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि संस्कृत देवों की भाषा है। उन्होंने महर्षि पाणिनी विश्वविद्यालय को संस्कृत के प्रचार-प्रसार के कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय प्राचीनकाल से चली आ रही भारतीय ज्ञान परम्परा का उत्कृष्ट उदाहरण है।

इससे पहले मंत्री परमार ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने सान्दीपनि शिक्षा भवन के विस्तार कार्य का भूमिपूजन के बाद पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के सभागार में वैदिक मंगलाचरण के साथ सरस्वती पूजन किया गया। इसके पश्चात विश्वविद्यालय का कुलगान छात्रों द्वारा गाया गया। कार्यक्रम में डॉ.शुभम शर्मा की पुस्तक ‘कविताई की अथाई’ एवं डॉ.पूजा उपाध्याय की ‘सुवाग्वीथि’ पुस्तक का विमोचन किया गया।

कार्यक्रम में उन्होंने भारतीय ज्ञान परम्परा के समृद्धशाली इतिहास एवं ज्ञान के संकलन के तरीके का वर्णन करते हुए कहा कि भारत आदिकाल से सम्पूर्ण विश्व के लिये ज्ञान का स्त्रोत रहा है। प्राचीनकाल से ही ऋषि-मुनियों के मार्गदर्शन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ भारतीय संस्कृति का सतत विकास हुआ है। इसी प्रक्रिया से आधुनिक भारतीय समाज में भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण व सामाजिक समरसता का विकास हुआ है।

उन्होंने कहा कि भारत में अनादिकाल से ही शिक्षा को व्यक्तित्व के विकास में अत्यधिक महत्व दिया गया है। नालन्दा, तक्षशिला विश्वविद्यालयों में शल्य क्रिया, आध्यात्म, संगीत, गणित, ज्योतिष आदि का ज्ञान प्राप्त करने भारत के साथ विदेश से भी विद्यार्थी आते थे। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति भारतीय ज्ञान परम्परा आधारित है। इसमें विद्यार्थियों को बुनियादी शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी कौशल, व्यक्तित्व विकास, नैतिक शिक्षा भी प्रदाय की जा रही है। पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अग्रणी विश्वविद्यालय है।

उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने वेंकटाचलम स्मृति स्पर्धा अन्तर्गत गीता कंठपाठ की विजेता परिधि रेशवाल, कार्तिक गोमे, स्वस्तयन मिश्रा, संस्कृत भाषण के लिये समर्थ शर्मा, देवेंद्र द्विवेदी, आस्था मेहता, वशिष्ठ दुबे एवं प्रबंध लेखन में हर्ष शर्मा, हिमांशु गौत्म को पुरस्कार वितरण किये। कार्यक्रम में मंत्री परमार ने प्रो. रहसबिहारी द्विवेदी का सम्मान किया। इस अवसर पर विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, महापौर मुकेश टटवाल, कुलपति डॉ.विजय कुमार सी.जी., कुल सचिव डॉ.संदीप सोनी, भरत बैरागी, विश्वविद्यालय के प्राचार्य, कर्मचारी व छात्र आदि उपस्थित रहे।