हाल ही में ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सुपरटेक इको विलेज 2 सोसायटी में दूषित पानी पीने से कई लोग बीमार हो गए थे। इसके बाद पानी के सैंपल जांच के लिए लैब भेजे गए, जिसमें ई. कोली बैक्टीरिया की मौजूदगी की पुष्टि हुई।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सुपरटेक इको विलेज 2 सोसायटी में दूषित पानी पीने से कई लोग बीमार हो गए थे। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने वहां कैंप लगाकर लोगों की जांच की और पानी के सैंपल लेकर जांच के लिए लैब में भेजे। सैंपल की रिपोर्ट आ गई है, जिसमें ई. कोली बैक्टीरिया पाया गया है।
ई. कोली बैक्टीरिया आम तौर पर मनुष्यों और जानवरों की आंतों में पाए जाते हैं। हालाँकि कुछ प्रजातियाँ फायदेमंद होती हैं, लेकिन ई. कोली के कुछ प्रकार हानिकारक होते हैं। विशेष रूप से, ई. कोली संक्रमण दूषित पानी और भोजन के माध्यम से फैलता है। यह बैक्टीरिया गंदगी और मल पदार्थ के माध्यम से फैलता है और पीने के पानी के दूषित होने पर सीधे लोगों को प्रभावित करता है।
ई. कोली संक्रमण के स्वास्थ्य प्रभाव
ई. कोली बैक्टीरिया के संक्रमण से शरीर के विभिन्न अंगों पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। इसके प्रमुख लक्षणों में पेट में ऐंठन, दस्त, उल्टी और बुखार शामिल हैं। जब कोई व्यक्ति दूषित पानी पीता है, तो यह बैक्टीरिया उसकी आंतों में प्रवेश करता है और वहां संक्रमण फैलाता है। गंभीर मामलों में, ई. कोली संक्रमण से किडनी फेलियर जैसी जानलेवा स्थिति भी हो सकती है।
ई. कोलाई संक्रमण को कैसे रोका जा सकता है?
साफ पानी पिएं : सुनिश्चित करें कि आप हमेशा साफ और शुद्ध पानी पिएं। उबला हुआ या फ़िल्टर किया हुआ पानी पीने से आपको ई. कोली जैसे बैक्टीरिया के संक्रमण से बचने में मदद मिल सकती है।
हाथ की स्वच्छता : खाना पकाने और खाने से पहले हमेशा अपने हाथ अच्छी तरह से धोएँ। इससे बैक्टीरिया के संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।
दूषित भोजन से बचें : दूषित और अस्वास्थ्यकर भोजन से बचें। खासकर खुले में बिकने वाले भोजन को खाने से पहले उसकी साफ-सफाई पर ध्यान दें।
गौरतलब है कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट सोसायटी के अंदर कुछ दिन पहले स्वास्थ्य विभाग और निजी अस्पतालों का स्वास्थ्य शिविर लगाया गया था। तीन दिन तक लोगों का इलाज किया गया था। उस समय आरोप था कि सोसायटी में पानी की टंकियों की सफाई की गई थी। इसके बाद जो पानी सप्लाई किया जा रहा था, उसे पीने से चार टावरों में रहने वाले लोग बीमार पड़ गए।
वहीं स्वास्थ्य विभाग ने इस बैक्टीरिया को लेकर ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी रिपोर्ट भी भेज दी है। गौतमबुद्ध नगर के सीएमओ के मुताबिक इस बैक्टीरिया से होने वाले नुकसान का इलाज और बचाव जरूर है, लेकिन फिर भी सतर्क रहने की जरूरत है। डॉ. सुनील शर्मा के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग ने लगातार तीन दिन तक सोसायटी में कैंप लगाकर लोगों की जांच की और उन्हें डॉक्टर की सलाह के साथ दवाइयां भी दी गईं।