पाकिस्तान ने चीन से 40 J-35 फिफ्थ-जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट्स खरीदने की योजना को हरी झंडी दे दी है। यह कदम भारत और पाकिस्तान के बीच रक्षा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को नई ऊंचाई पर ले जाने वाला है। रिपोर्ट के अनुसार, ये फाइटर जेट अगले दो वर्षों में पाकिस्तान को डिलीवर किए जाएंगे। J-35, चीन के J-31 का उन्नत संस्करण है, जिसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है। चीनी विशेषज्ञों का दावा है कि इन विमानों के जरिए पाकिस्तान अपनी हवाई ताकत में भारत से 12 साल आगे निकल सकता है।
J-35 की खासियत और पाकिस्तान की योजना
J-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स आधुनिक एवियोनिक्स, एडवांस स्टील्थ तकनीक और मल्टीरोल क्षमताओं से लैस हैं। ये विमान हवा में श्रेष्ठता स्थापित करने के साथ-साथ जमीनी और समुद्री लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम हैं। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (SCMP) की रिपोर्ट के मुताबिक, ये जेट पाकिस्तान के पुराने अमेरिकी F-16 और फ्रांसीसी मिराज फाइटर जेट्स की जगह लेंगे।
पाकिस्तानी वायुसेना (PAF) ने J-35 के लिए अपने पायलटों को पहले ही चीन में प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है। पाकिस्तानी एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्दू ने जनवरी में कहा था कि J-35 खरीदने की दिशा में सभी बुनियादी कार्य पूरे कर लिए गए हैं। रिटायर्ड PAF अधिकारी जिया उल हक शम्सी के अनुसार, J-35 की तैनाती से पाकिस्तान को अगले 7 से 14 वर्षों तक भारत पर रणनीतिक बढ़त मिल सकती है।
चीन और पाकिस्तान के रक्षा संबंध
J-35 का निर्यात चीन का अपने मित्र राष्ट्र को पहला फिफ्थ-जेनरेशन फाइटर जेट प्रदान करना होगा। चीन और पाकिस्तान के गहरे सैन्य संबंधों के तहत यह सौदा हुआ है। इससे पहले, दोनों देशों ने JF-17 थंडर फाइटर जेट्स को संयुक्त रूप से विकसित किया और संचालित किया। J-35 को चीनी विमानवाहक पोतों के लिए भी उपयुक्त माना गया है।
पाकिस्तान की यह योजना उसके आर्थिक संकट के बावजूद आगे बढ़ाई गई है। भले ही बीजिंग ने इस सौदे की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, परंतु चीन के झुहाई एयर शो में PAF के शीर्ष अधिकारियों की उपस्थिति इस दिशा में संकेत देती है।
भारत का स्वदेशी फाइटर जेट प्रोजेक्ट
पाकिस्तान की इस पहल के विपरीत, भारत अपने एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोजेक्ट पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह स्वदेशी फिफ्थ-जेनरेशन फाइटर जेट्स विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना है। संसद की रक्षा स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, AMCA की डिलीवरी अगले दशक में शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि, DRDO को इस परियोजना में तकनीकी और समयसीमा से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
क्षेत्रीय शक्ति संतुलन और चुनौतियां
पाकिस्तान का J-35 खरीदना दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ये विमान पाकिस्तान को तात्कालिक बढ़त तो दिला सकते हैं, लेकिन दीर्घकालिक रूप से संचालन और रखरखाव एक बड़ी चुनौती साबित होगी। दूसरी ओर, भारत की स्वदेशी परियोजना उसे आत्मनिर्भरता और दीर्घकालिक सामरिक लाभ दे सकती है।
SCMP के विशेषज्ञ ब्रेंडन मुलवेनी ने इस कदम को पाकिस्तान का पश्चिमी देशों से दूरी और चीन की ओर झुकाव का संकेत बताया है। हालांकि, उन्होंने J-35 की प्रभावशीलता को चीन द्वारा प्रदान किए गए हथियारों, सेंसर और C4ISR (कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, कंप्यूटर, इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसेंस) पर निर्भर बताया।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और आलोचनाएं
पाकिस्तान अपनी बिगड़ती आर्थिक स्थिति के बावजूद इस महंगे रक्षा सौदे को आगे बढ़ा रहा है। विश्व बैंक की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान को दिए गए कुल विदेशी ऋण में चीन की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। 2023 में चीन ने पाकिस्तान को 29 अरब डॉलर का कर्ज दिया था। जबकि सऊदी अरब की हिस्सेदारी 9.16 अरब डॉलर है।
पाकिस्तान की कर्जग्रस्त अर्थव्यवस्था और भुखमरी से जूझती बड़ी आबादी के बीच यह रक्षा सौदा कई आलोचनाओं का सामना कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि महंगे विमानों का रखरखाव पाकिस्तान के लिए दीर्घकालिक वित्तीय दबाव बढ़ा सकता है।
भविष्य की रणनीतिक दृष्टि
जहां पाकिस्तान अपने हवाई बेड़े को मजबूत करने के लिए चीन पर निर्भर है, वहीं भारत अपनी स्वदेशी क्षमताओं को विकसित कर रहा है। यह प्रतिस्पर्धा न केवल सैन्य क्षेत्र में, बल्कि आत्मनिर्भरता और विदेशी निर्भरता के बीच रणनीतिक प्राथमिकताओं को भी दर्शाती है।