पाकिस्तान एक महीना भी नहीं टिक पाएगा, बलूच नेता की भारत से गुहार के पीछे की असली कहानी क्या है
News India Live, Digital Desk: बलोचिस्तान के एक बड़े नेता ने भारत से एक ऐसी अपील की है, जिसने दक्षिण एशिया की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह पाकिस्तान के खिलाफ वैसी ही सख्त कार्रवाई करे जैसी इज़राइल अपने दुश्मनों के खिलाफ करता है। इस नेता का दावा है कि अगर भारत ने ऐसा कदम उठाया, तो पाकिस्तानी सेना एक महीने के अंदर ही घुटने टेक देगी। चलिए समझते हैं कि इस बयान का पूरा मतलब क्या है और इसके पीछे की वजह क्या है।
पाकिस्तान की दुखती रग पर रखी उंगली
बलूच नेता का यह बयान सीधे तौर पर पाकिस्तानी सेना की दुखती रग पर हाथ रखने जैसा है। उन्होंने पाकिस्तानी सेना के जनरल मुनीर का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनकी नसें कमजोर हैं और वे कोई कड़ा फैसला नहीं ले सकते। इस बयान का मकसद यह दिखाना है कि पाकिस्तानी सेना बाहर से भले ही खुद को कितना भी ताकतवर दिखाए, लेकिन अंदर से वह उतनी मज़बूत नहीं है।
दरअसल, बलोचिस्तान लंबे समय से अपनी आज़ादी की लड़ाई लड़ रहा है। वहाँ के लोगों का आरोप है कि पाकिस्तानी सेना उन पर बहुत ज़ुल्म करती है और उनके संसाधनों को लूट रही है। यही वजह है कि बलूच नेता दुनिया के बड़े देशों, खासकर भारत, से मदद की उम्मीद करते हैं।
इज़राइल का उदाहरण क्यों दिया गया?
जब भी दुनिया में कोई देश अपने दुश्मनों पर कड़ी सैन्य कार्रवाई करता है, तो इज़राइल का नाम सबसे पहले आता है। इज़राइल अपनी सुरक्षा को लेकर कोई भी समझौता नहीं करता और छोटे-से-छोटे हमले का भी बहुत बड़ा जवाब देता है। बलूच नेता ने यही उदाहरण देते हुए भारत को उकसाया है। उनका कहना है कि भारत को भी पाकिस्तान के प्रति अपनी नीति में बदलाव लाना चाहिए और ज्यादा सख्त रुख अपनाना चाहिए।
क्या भारत ऐसा करेगा?
हालांकि यह बयान सुनने में बहुत आक्रामक लगता है, लेकिन भारत सरकार अपनी विदेश नीति अपने हितों और वैश्विक शांति के हिसाब से ही चलाती है। भारत ने हमेशा आतंकवाद का विरोध किया है, लेकिन किसी दूसरे देश पर सीधा हमला करना भारत की नीति का हिस्सा नहीं रहा है। फिर भी, बलूच नेता के इस बयान ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि क्या पाकिस्तान जैसे पड़ोसी से निपटने के लिए भारत को अपनी रणनीति में बदलाव करने की ज़रूरत है।
संक्षेप में कहें तो, बलूच नेता का यह बयान पाकिस्तान के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी और भारत के लिए एक विचारणीय विषय की तरह है। यह दिखाता है कि पाकिस्तान के अंदर ही हालात कितने अस्थिर हैं और वहाँ के लोग अपनी ही सेना से कितने ज़्यादा नाखुश हैं।
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