हरिद्वार, 13 नवंबर (हि.स.)। उत्तराखंड में रेलवे का अधिकांश ट्रैक राज्य के मैदानी क्षेत्र में है, जो वनों से आच्छादित है। इसमें से हरिद्वार-देहरादून रेलवे ट्रैक पर प्रायः वन्य जीव दुर्घटनाग्रस्त होकरअपनी जान गंवा बैठते हैं। इस ट्रैक पर अनेक जंगली हाथिओं व गुलदारों की ट्रेन से कट कर मौत हो चुकी है। इन दुखद घटनाओं के बाद रेलवे ,वन विभाग को तो वन विभाग, रेलवे को दोषी ठहराता है। इस गंभीर प्रकरण पर रेलवे व वन विभाग ने सार्थक पहल करते हुए देहरादून व हरिद्वार में कार्यशालाएं सम्पन्न की हैं।
इस प्रकरण को लेकर डब्लूडब्लूएफ इंडिया, उत्तर रेलवे व वन विभाग की सोमवार को देहरादून व मंगलवार को हरिद्वार में कार्यशालाएं आयोजित की गयी। कार्यशालाओं का आयोजन एशिया के लीनियर इंफ्रास्ट्रक्चर सेफगार्डिंग नेचर परियोजना के तहत किया गया था। कार्यशाला के दौरान रेलवे परिचालन के साथ रेलवे ट्रैक पर गस्त करने वालों की स्थिति पर चर्चा की गयी। साथ ही ट्रेनों के गुजरने के दौरान वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर भी मंथन किया गया। कार्यशाला में वन महकमे के आला अफसर, रेलवे के अधिकारी, लोको पायलटस, व डब्लू डब्लू एफ के अधिकारियों ने आपसी विचार व निदान से संबंधित अनुभवों को साझा किया। इस मौके पर हरिद्वार रेंज अधिकारी बिजेंद्र दत्त तिवारी, वन दरोगा गणेश बहुगणा, बीके मलिक, विक्रम तोमर आदि मौजूद रहें।
कार्यशालाओं को लेकर राजा जी पार्क के वन्यजीव प्रतिपादक हरीश नेगी का कहना है कि यह कार्यशाला बहुत ही महत्वपूर्ण थी, रेलवे व वनकर्मियों द्वारा वन्यजीव दुर्घटना रुके इसको लेकर धरातल पर और बेहतर कार्य किया जाएगा।
डब्ल्यू डब्ल्यू एफ इंडिया के वन्य जीव सलाहकार विक्रम सिंह तोमर ने कहा कि हरिद्वार देहरादून रेलवे लाइन का बड़ा हिस्सा राजा जी टाइगर रिजर्व से होकर गुजरता है। वन्य जीव बाहुल्य क्षेत्र होने के चलते यहां हाथियों और दूसरे जानवरों की दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना बनी रहती है। ऐसी घटनाओ को रोकने के लिए ही इस वर्कशॉप का आयोजन किया गया, ताकि भविष्य में रेलवे व वन विभाग आपस में समन्वय बनाकर कार्य कर सकें।