चोरी हुए ट्रक की कीमत अदा करने के आदेश

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जोधपुर, 28 नवम्बर (हि.स.)। राज्य उपभोक्ता आयोग सर्किट बैंक अजमेर ने बीमा कंपनी एवं उपभोक्ता दोनों की अपीलें अस्वीकार करते हुए बीमा कंपनी को चोरी गए एक ट्रक की कीमत अदा करने के आदेश दिए है।

राज्य उपभोक्ता आयोग सर्किट बैंच अजमेर में आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र कच्छवाहा, सदस्य न्यायिक उर्मिला वर्मा, सदस्य लियाकत अली के समक्ष बीमा कंपनी ने अपील प्रस्तुत करते हुए जिला आयोग के निर्णय को अपास्त करने की मांग की। वहीं परिवादी उपभोक्ता ने जिला आयोग अजमेर द्वारा दिलवाई गई राशि को बढ़ाने की अपील प्रस्तुत की। आयोग के समक्ष परिवादी की ओर से बताया गया कि उसने ट्रक ट्रेलर का बीमा प्रीमियम अदा किया गया था जो अगस्त 2008 से अगस्त 2009 तक के लिए पंजीकृत था।

ट्रक अक्टूबर 2008 में जयपुर रोड पर रात्रि में चोरी हो गया। बीमा कंपनी ने चुराए गए ट्रक का मूल्यांकन 12 लाख नौ हजार 341 रुपये किया गया। परिवादी ने ट्रक चोरी की सूचना पुलिस को दी। इस पर पुलिस ने झूठी एफआर प्रस्तुत कर दी। बीमा कंपनी ने बताया कि परिवादी ने औपचारिकता पूर्ण नहीं की इसलिए दावा मार्च 2009 में नो क्लेम कर दिया गया। परिवादी ने जिला आयोग अजमेर में बीमा कंपनी के विरोध परिवाद प्रस्तुत कर दावा राशि की मांग की।

बीमा कंपनी की ओर से बताया गया कि परिवादी ने एफआईआर 8 दिन बाद देरी से करवाई तथा बीमा कंपनी को भी 17 दिन बाद सूचना दी गई जो बीमा कंपनी की शर्तों का उल्लंघन है। पुलिस ने जो एफआईआर प्रस्तुत की उसमें भी बताया गया कि ट्रक मालिक द्वारा प्राप्त ऋणों को नहीं देना व हड़प करने की नीयत से ट्रक को अन्य व्यक्ति को बेच दिया। बीमा कंपनी को वांछित दस्तावेज नहीं देने के कारण नो क्लेम किया गया।

इस पर जिला आयोग ने वाहन की आईडीवी 12 लाख नौ हजार 341 रुपए का 75 प्रतिशत नौ लाख सात हजार पांच रुपए बीमा कंपनी को भुगतान करने के आदेश बीमा कंपनी को दिए। बीमा कंपनी ने निर्णय को अस्वीकार करने एवं परिवादी ने पूरी राशि दिलवाने के लिए आयोग के समक्ष अपील प्रस्तुत की। आयोग में बीमा कंपनी की ओर से बहस में बताया कि परिवादी ने दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाए। बीमित वाहन की एक ही चाबी दी।

वहीं परिवादी ने बताया कि त्योहार होने के कारण एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी। वाहन को खुर्द करने के संबंध में कोई रिपोर्ट साक्ष्य पेश नहीं की गई। फाइनेंस कंपनी ने भी नो ऑब्जेक्शन जारी कर दिया। आयोग ने परिसीमा अवधि के संबंध में अधीनस्थ न्यायालय के एफआईआर के संबंध में पुन: अनुसंधान के आदेश दिए। बीमा कंपनी की ओर से यह कहा गया कि परिवादी को कई पत्र लिखें लेकिन ऐसा एक भी प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया।

दोनों पक्षों की ओर से विभिन्न न्यायिक दृष्टांत प्रस्तुत किए गए। समस्त विवेचन के आधार पर आयोग ने जिला आयोग के निर्णय को सही मानते हुए बीमा कंपनी एवं परिवादी की अपील को अस्वीकार कर दिया। परिवार की ओर से अधिवक्ता महेश अग्रवाल एवं बीमा कंपनी की ओर से अधिवक्ता जगतार सिंह उपस्थित हुए।