जयपुर, 10 मई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के 13 मार्च 2024 के उस आदेश को मनमाना व अवैधानिक मानते हुए रद्द कर दिया है, जिसमें मौजूदा लाइसेंसधारकों से 30 जून 2024 तक शराब की दुकानें संचालन करने के लिए कहा था। इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ताओं का गारंटी सहित अन्य मद में जो भी पैसा जमा है, वह भी चार सप्ताह में उन्हें लौटाए। ऐसा नहीं करने पर अदालत ने इस राशि पर ब्याज भुगतान करने को कहा है। जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश कृष्णा शर्मा व 275 अन्य की याचिकाओं को मंजूर करते हुए दिए।
मामले से जुडे वरिष्ठ अधिवक्ता आरबी माथुर ने बताया कि राज्य सरकार की नई आबकारी नीति 2024-25 के तहत जब शराब की दुकानें नहीं उठीं तो राज्य सरकार ने मौजूदा लाइसेंसधारकों को ही जबरन 30 जून की अवधि तक शराब की दुकानें संचालित करने का आदेश दिया। इसे चुनौती देते हुए कहा कि उनका राज्य सरकार से 31 मार्च तक का ही अनुबंध है और उनके चाहने पर ही लाइसेंस का नवीनीकरण आगे की अवधि के लिए बढाया जा सकता है। ऐसे में राज्य सरकार मनमाने तरीके से उनसे आगामी तीन महीने की अवधि बढाकर जबरन दुकानें संचालित नहीं करवा सकती। वहीं अनुबंध खत्म होने के बाद उनका गारंटी सहित अन्य जमा पैसा भी भुगतान करने से नहीं रोक सकती। इसलिए राज्य सरकार का आदेश रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने राज्य सरकार के 13 मार्च 2024 के आदेश को मनमाना बताते हुए रद्द कर दिया है।