लोकसभा सीटों के परिसीमन के मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। तमिलनाडु में शनिवार को हुई विपक्षी दलों की बैठक को इस अभियान की बड़ी शुरुआत माना जा रहा है। विपक्ष 2026 में प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया को टालने के लिए संसद के भीतर और बाहर सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बना रहा है।
परिसीमन पर बढ़ता विरोध
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान 84वें संविधान संशोधन के तहत लोकसभा सीटों का परिसीमन 2026 तक टाल दिया गया था। तब भी दक्षिण भारतीय राज्यों ने आपत्ति जताई थी, क्योंकि उनकी आबादी में कमी के कारण सीटों में कटौती की आशंका थी। अब 2026 में जनगणना के बाद परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है, जिससे 2029 के आम चुनाव नए परिसीमन के तहत हो सकते हैं। इसमें 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जानी हैं।
दक्षिणी राज्यों की चिंता: 29 सीटें घटने की संभावना
दक्षिण भारत के पांच राज्यों में लोकसभा की 129 सीटें हैं, जिनकी संख्या परिसीमन के बाद 100 से कम हो सकती है।
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तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और तेलंगाना इस मुद्दे पर खुलकर विरोध कर रहे हैं।
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आंध्र प्रदेश में हालांकि एनडीए की सरकार है, लेकिन विपक्षी वाईएसआर कांग्रेस इस मुद्दे को उठा रही है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पार्टी पर भी इस पर स्थिति स्पष्ट करने का दबाव बढ़ रहा है।
परिसीमन को भाजपा की रणनीति से जोड़ रहा विपक्ष
चेन्नई में हुई विपक्षी दलों की बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की उपस्थिति यह संकेत देती है कि यह सिर्फ दक्षिण भारतीय राज्यों तक सीमित मुद्दा नहीं है। विपक्ष इसे भाजपा की चुनावी रणनीति से जोड़कर जनता के बीच ले जाने की तैयारी कर रहा है। जनसंख्या आधारित परिसीमन से उत्तर भारत की सीटों में वृद्धि होगी, जिससे भाजपा को सीधा लाभ हो सकता है।
ममता बनर्जी की गैरमौजूदगी पर सवाल
बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की गैरमौजूदगी पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन माना जा रहा है कि वह भी विपक्ष के साथ रहेंगी। वर्तमान में लोकसभा की 543 सीटें 1971 की जनगणना के आधार पर तय की गई थीं। 2008 में परिसीमन हुआ था, लेकिन तब सिर्फ सीटों का पुनर्गठन हुआ था, संख्या में कोई बदलाव नहीं हुआ था।
विपक्ष की मांग: परिसीमन को टालने की अपील
शनिवार को हुई बैठक में विपक्ष ने केंद्र सरकार से वाजपेयी सरकार की नीति का पालन करने और परिसीमन को टालने की मांग की।
भाजपा और आरएसएस का विरोध
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि डीएमके तमिलनाडु चुनावों को ध्यान में रखते हुए परिसीमन और हिंदी थोपने जैसे भावनात्मक मुद्दे उठा रही है।
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आरएसएस के संयुक्त महासचिव अरुण कुमार ने बैठक में शामिल नेताओं पर सवाल उठाया कि क्या वे वास्तव में परिसीमन को लेकर चिंतित हैं या यह सिर्फ राजनीतिक एजेंडा है।
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तमिलनाडु में भाजपा नेताओं ने इस बैठक का काले झंडे दिखाकर विरोध किया।
मुख्य नेताओं की प्रतिक्रियाएं
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हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री, झारखंड: परिसीमन को केवल जनसंख्या के आधार पर तय करना उचित नहीं होगा। निष्पक्ष और न्यायसंगत समाधान की जरूरत है।
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भगवंत मान, मुख्यमंत्री, पंजाब: भाजपा उन राज्यों की सीटें बढ़ाना चाहती है जहां वह जीतती है और उन राज्यों की घटाना चाहती है जहां उसे हार मिलती है।
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पिनराई विजयन, मुख्यमंत्री, केरल: यह कदम संवैधानिक सिद्धांतों से प्रेरित नहीं बल्कि संकीर्ण राजनीतिक हितों से प्रेरित है।
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एमके स्टालिन, मुख्यमंत्री, तमिलनाडु: लोकतंत्र और संघीय ढांचे पर संकट खड़ा किया जा रहा है। इस पर राजनीतिक और कानूनी कार्य योजना तैयार की जाएगी।