ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) के महासचिव और तमिलनाडु के विपक्षी नेता एडप्पादी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) ने मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। यह बैठक करीब 15 मिनट तक चली, जिसमें ईपीएस ने भाजपा के तमिलनाडु अध्यक्ष के. अन्नामलाई की भूमिका को सीमित करने की मांग उठाई।
2023 में टूटा था गठबंधन, अब नए समीकरण की तलाश
सूत्रों के अनुसार, यह बैठक 2026 में तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के लिए संभावित गठबंधन पर केंद्रित रही। सितंबर 2023 में, एआईएडीएमके ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था क्योंकि पार्टी को अन्नामलाई की आक्रामक रणनीति और स्वतंत्र राजनीतिक शैली से असहजता थी। अब इस मुलाकात को भाजपा और एआईएडीएमके के बीच फिर से तालमेल स्थापित करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
ईपीएस ने क्या रखी मांग?
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अन्नामलाई की भूमिका सीमित करने की अपील – एआईएडीएमके नेतृत्व का मानना है कि उनकी आक्रामक रणनीति गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकती है।
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एक उच्चस्तरीय समन्वय समिति के गठन की सिफारिश – जिससे दोनों दलों के बीच बेहतर तालमेल बनाया जा सके।
जेपी नड्डा से भी हुई थी बातचीत
इससे पहले, एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेताओं ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की थी और अन्नामलाई की राजनीतिक शैली पर असहमति जताई थी। उन्होंने भाजपा नेतृत्व से या तो अन्नामलाई को माफी मांगने के लिए कहने या उन्हें हटाने की मांग की थी।
गठबंधन की संभावनाओं पर नजर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर एआईएडीएमके और भाजपा फिर से हाथ मिलाते हैं, तो तमिलनाडु में डीएमके नीत ‘इंडिया’ गठबंधन को कड़ी चुनौती दी जा सकती है। 2024 के लोकसभा चुनावों में दोनों दलों के अलग-अलग लड़ने के कारण डीएमके को भारी जीत मिली थी, जिसके बाद अब गठबंधन की जरूरत पर दोबारा मंथन किया जा रहा है।
क्या भाजपा-एआईएडीएमके फिर साथ आएंगे?
इस मुलाकात के बाद, राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हैं कि भाजपा और एआईएडीएमके 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले फिर से गठबंधन कर सकते हैं। हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय भाजपा नेतृत्व को लेना होगा कि क्या अन्नामलाई की भूमिका सीमित होगी या नहीं।