महाराष्ट्र में ‘ऑपरेशन टाइगर’ की गूंज, शिंदे गुट की नई राजनीतिक चाल

Maharashtra 1725980168385 173838

महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों “ऑपरेशन टाइगर” सुर्खियों में है। चर्चा है कि शिवसेना का शिंदे गुट उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रहा है। यह ऑपरेशन तब और चर्चा में आ गया जब शिवसेना नेता उदय सामंत के नेतृत्व में कांग्रेस और ठाकरे गुट के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क की खबरें सामने आईं। इस घटनाक्रम ने राज्य की राजनीति में नए समीकरणों की हलचल पैदा कर दी है।

क्या शिवसेना के दोनों गुट फिर होंगे एक?

इस बीच, मंत्री संजय शिरसाट ने शिवसेना के दोनों गुटों के विलय को लेकर बड़ा बयान दिया है। एबीपी माझा को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अब दोनों दलों के बीच की खाई उतनी गहरी नहीं रही और अगर अवसर मिला तो वह उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच सुलह कराने की कोशिश करेंगे।

शिरसाट ने कहा कि वह शिवसेना के विभाजन से दुखी हैं और अगर परिस्थितियां अनुकूल रहीं, तो दोनों दलों का फिर से एक होना संभव हो सकता है। उनके इस बयान से राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। अब सबकी निगाहें ठाकरे गुट की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं, क्योंकि यह बयान महाराष्ट्र की आगामी राजनीतिक रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है।

MVA को झटका देने की तैयारी में महायुति

महाराष्ट्र की राजनीति में हाल के वर्षों में भारी उथल-पुथल देखी गई है। दल बदलने का सिलसिला लगातार जारी है, और अब सभी दल आगामी स्थानीय निकाय और नगर निगम चुनावों की तैयारियों में जुट गए हैं।

राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि महायुति (शिंदे गुट, बीजेपी और एनसीपी का गुट) ने महाविकास अघाड़ी (एमवीए) को एक और झटका देने की तैयारी कर ली है। इसके तहत, महायुति के दल कांग्रेस और ठाकरे गुट के बड़े नेताओं को अपने पक्ष में लाने की कोशिश में हैं।

एकनाथ शिंदे का ‘ऑपरेशन टाइगर’

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना का शिंदे गुट उद्धव ठाकरे की पार्टी के नेताओं को अपनी ओर लाने की कोशिश में जुटा है।

  • पुणे के हडपसर से पूर्व विधायक महादेव बाबर और कोथरुड से पूर्व विधायक चंद्रकांत मोकाटे के एकनाथ शिंदे से मुलाकात की खबरें आ रही हैं।
  • इसके अलावा, पूर्व कांग्रेस विधायक रवींद्र धांगेकर ने भी शिंदे से मुलाकात की। हालांकि, उन्होंने इसे केवल व्यक्तिगत विकास कार्यों की चर्चा बताया और कांग्रेस में बने रहने की बात कही।

इन मुलाकातों के बावजूद, यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या ये नेता जल्द ही शिंदे गुट में शामिल होंगे। इससे महाराष्ट्र की राजनीतिक हलचल और तेज हो गई है।

निष्कर्ष