सुप्रीम कोर्ट ने एक बयान में कहा है कि जेलों में कैदियों की बढ़ती संख्या और कैदियों के पुनर्वास के समाधान के लिए खुली जेल बनाने की जरूरत है.
बता दें कि खुली जेलों में कैदी दिन में जेल से बाहर काम करते हैं और शाम को जेल लौट आते हैं. ऐसा करने से उन्हें जीविकोपार्जन में मदद मिल सकती है।
कोर्ट ने यह सलाह इसलिए दी है ताकि कैदी भी समाज से जुड़ सकें और उन पर मनोवैज्ञानिक दबाव कम हो सके. कैदियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवी और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि देशभर में खुली जेलों का विस्तार करने की जरूरत है.
पीठ ने कहा कि राजस्थान में ऐसी व्यवस्था है और इस पर प्रभावी ढंग से काम किया जा रहा है.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हम इस मामले के जरिए जेलों और कैदियों के अन्य अदालतों में लंबित मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.
राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि उसने खुली जेलों पर सभी राज्यों से प्रतिक्रिया मांगी थी, जिनमें से 24 राज्यों ने प्रतिक्रिया भेज दी है। इस मामले की सुनवाई 16 मई को हो चुकी है.