"आपकी संगत ही तय करती है कि आप कहाँ पहुँचेंगे" - चाणक्य की यह बात आज भी क्यों है इतनी ज़रूरी?
- चाणक्य नीति: जैसी संगत, वैसी रंगत, जानें आपके दोस्त कैसे आपका भविष्य तय करते हैं.
- आपकी सफलता और असफलता के पीछे किसका हाथ है? चाणक्य नीति से समझें.
Chanakya Niti: ये कहावत तो आपने अपने बड़ों से सैकड़ों बार सुनी होगी कि "तुम किसके साथ उठते-बैठते हो, वही तुम्हारा भविष्य तय करता है." यह सिर्फ एक कहावत नहीं, बल्कि जीवन की एक गहरी सच्चाई है. महान ज्ञानी आचार्य चाणक्य ने भी सदियों पहले यही बात कही थी कि इंसान अकेले नहीं बनता, उसे उसकी 'संगत' बनाती है. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी, चाहे वो कॉलेज हो, ऑफिस हो या सोशल मीडिया, चाणक्य की यह सीख पहले से कहीं ज़्यादा मायने रखती है.
जैसी संगत, वैसी सोच और वैसा ही भविष्य
चाणक्य का साफ कहना था कि अच्छे लोगों की सोहबत इंसान की ज़िंदगी बदल सकती है, तो वहीं बुरे लोगों की आदतें और बातें उतनी ही तेजी से आपको अपने जैसा बना लेती हैं.
ज़रा सोचिए, अगर आपके दोस्त हमेशा आगे बढ़ने की, कुछ नया सीखने की बातें करते हैं, तो आपकी सोच भी वैसी ही हो जाती है. आपके सपने बड़े होने लगते हैं और लक्ष्य साफ दिखने लगते हैं. वहीं, अगर आपकी दोस्ती ऐसे लोगों से है जो सिर्फ समय बर्बाद करते हैं, हर बात को टालते रहते हैं, तो धीरे-धीरे आप भी वैसे ही बन जाते हैं. आज के समय में आपका फ्रेंड सर्कल ही यह तय करता है कि आपका करियर, रिश्ते और फैसले लेने की क्षमता कैसी होगी.
आपके दोस्त आपकी चर्चा और दिशा दोनों तय करते हैं
चाणक्य नीति कहती है, "जैसा आप साथ निभाते हैं, वैसी ही आपकी बुद्धि, आदतें और आखिरकार आपका भविष्य बनता है।"
यह बात आपने अपनी ज़िंदगी में भी महसूस की होगी. जो लोग अनुशासन, मेहनत और पॉजिटिव बातों पर ध्यान देते हैं, उनकी ज़िंदगी उसी रास्ते पर आगे बढ़ती है. और जो लोग हर बात में बहाने बनाते हैं, समय की कीमत नहीं समझते, उनके साथ रहने वाला इंसान भी धीरे-धीरे उन्हीं आदतों को अपना लेता है. यहाँ तक कि हमारी बोलचाल, खर्च करने का तरीका और दुनिया को देखने का नज़रिया भी हमारे आसपास के लोगों से ही बनता या बिगड़ता है.
सिर्फ असली नहीं, वर्चुअल संगत का भी होता है असर
चाणक्य के समय में इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप तो नहीं थे, लेकिन उनकी बातें आज भी उतनी ही सच्ची हैं. आज हमारी एक 'वर्चुअल संगत' भी है. हम सोशल मीडिया पर जिसे फॉलो करते हैं, जिसका कंटेंट देखते हैं, उससे हमारी सोच प्रभावित होती है. हम दूसरों की जिंदगी देखकर अपनी ज़िंदगी से तुलना करने लगते हैं. इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारी यह वर्चुअल संगत भी हमारी असल ज़िंदगी के आत्मविश्वास और सपनों पर गहरा असर डालती है.
तो अगली बार जब आप अपने दोस्तों के साथ बैठें, तो एक बार ज़रूर सोचिएगा कि यह संगत आपको कहाँ ले जा रही है-ऊपर या नीचे?
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