Online Donation in Chinese Temples : चीन के युवाओं ने बदला पूजा का तरीक़ा दान ऑनलाइन, आशीर्वाद ब्लूटूथ से? जानिए पूरी कहानी

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News India Live, Digital Desk: दुनिया बदल रही है और बदलने की इस दौड़ में भक्ति और भगवान से जुड़ने के तरीक़े भी बदल रहे हैं। इसका सबसे ताज़ा और हैरान करने वाला उदाहरण चीन से आया है, जहाँ के मंदिरों में आजकल एक अनोखा नज़ारा देखने को मिल रहा है। यहाँ भक्त भगवान को ऑनलाइन दान कर रहे हैं और फिर आशीर्वाद लेने के लिए अपने मोबाइल फ़ोन को सीधे मूर्ति से छूआ रहे हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि मंदिरों में मूर्तियों के पास दानपात्र की जगह QR कोड लगे हुए हैं। भक्त आते हैं, अपने मोबाइल से इस कोड को स्कैन करके पैसे दान करते हैं और फिर उसी फ़ोन को भगवान की मूर्ति के चरणों या हाथों से स्पर्श कराते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से भगवान का आशीर्वाद डिजिटल तरीक़e से उनके फ़ोन में और उनके ज़रिए उन तक पहुँच जाता है।

क्यों बदल रहा है पूजा का यह तरीक़ा?

यह नया ट्रेंड ख़ासकर चीन के युवाओं में बहुत लोकप्रिय हो रहा है। इसके पीछे कुछ बड़ी वजहें हैं:

  1. डिजिटल ज़िंदगी: आज की पीढ़ी अपना हर काम फ़ोन से करती है। ख़रीदारी से लेकर पेमेंट तक, सब कुछ डिजिटल है। ऐसे में वे अपनी धार्मिक भावनाओं को भी इसी डिजिटल दुनिया से जोड़कर देख रहे हैं।
  2. सुविधा: अब दान करने के लिए कैश लेकर चलने की ज़रूरत नहीं। बस एक क्लिक से आप अपनी श्रद्धा भगवान तक पहुँचा सकते हैं। यह बहुत आसान और सुविधाजनक है।
  3. एक नई सोच: कुछ लोगों का मानना है कि जिस तरह फ़ोन में अच्छी-बुरी हर तरह की ऊर्जा आ सकती है, उसी तरह भगवान की मूर्ति को छूने से उसमें सकारात्मक और दैवीय ऊर्जा भी आ सकती है।

क्या यह सही है?

इस नए तरीक़े को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कई लोग इसे आज के समय की ज़रूरत बता रहे हैं और इसकी तारीफ़ कर रहे हैं। उनका कहना है कि भाव ज़्यादा ज़रूरी है, तरीक़ा नहीं। अगर भक्ति सच्ची है, तो माध्यम चाहे कोई भी हो, भगवान तक पहुँच ही जाती है।

वहीं, कुछ लोग इसे परंपरा का मज़ाक़ बता रहे हैं। उनका मानना है कि इस तरह की चीज़ों से भक्ति का असली मतलब और उसकी पवित्रता ख़त्म हो रही है। यह सिर्फ़ एक ट्रेंड है, जिसमें भावना कम और दिखावा ज़्यादा है।

वजह चाहे जो भी हो, यह घटना दिखाती है कि टेक्नोलॉजी हमारी ज़िंदगी के हर पहलू में कितनी गहराई तक उतर चुकी है, यहाँ तक कि हमारे और भगवान के रिश्ते के बीच भी। अब देखना यह होगा कि भक्ति का यह 'डिजिटल' रूप भविष्य में और क्या-क्या रंग दिखाता है।

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