जैसलमेर, 24 मई (हि.स.)। जिले के रामदेवरा में पिछले वर्ष 28 मई को ओलावृष्टि और तूफान में रामदेवरा निवासी काना राम और उसके पोते विक्रम की मौत मामले में अभी तक परिवार को कोई मुआवजा नहीं मिला है। पीड़ित परिवार का कहना है कि दादा-पोते की मौत के बाद प्रशासनिक ऑफिस के दर्जनों चक्कर लगाए है। लेकिन फिर भी किसी ने हमारी बात नहीं सुनी।
रामदेवरा से पोकरण, जैसलमेर, जोधपुर और जयपुर तक के चक्कर काटने पड़े है। पुलिस प्रशासन ने दादा और पोते की मौत के बाद कहा था की प्राकृतिक आपदा, तूफान, आकाशीय बिजली गिरने पर मौत होने पर सरकार मुआवजा देगी। लेकिन अब पूरा एक वर्ष होने वाला है, अब तक हमें कोई मुआवजा नहीं मिला है।
कानाराम की पत्नी भंवरी देवी ने बताया कि हमारी सुनवाई कोई नहीं कर रहा है। ना ग्राम पंचायत कुछ सुन रही है और ना ही सरकार। मेरे बच्चों को कुछ भी पता नहीं है। कम से कम हमें कोई रास्ता ही बता देता। हमारे घर के आदमी ही चले गए तो हमें कुछ नहीं मिलता तो भी चलता। दो बार जयपुर जाकर आ गए। हमें तो पोकरण का भी रास्ता नहीं पता था। उसके बाद भी हमारी सुनवाई नहीं हुई तो हमारे लिए उस बात का क्या मतलब रहा। मेरे परिवार को क्यू इस कागजों के चक्कर में बर्बाद किया। कभी बोला जैसलमेर जाओ, कभी बोला पोकरण जाओ, हमारे पास खाने के पैसे, किराए के भी पैसे नहीं थे। तीन-तीन बार मेरी अपील खारिज कर दी।किस वजह से खारिज किए ये भी नहीं पता।
दुर्घटना तो हुई है ना, मेरे घर से दो आदमी चले गए। इसके बाद भी मेरी सुनवाई नहीं कर रहे है। कुछ नहीं देना था तो फिर बाद में मुझे ये दस्तावेज बनाने के चक्कर में तो बर्बाद नहीं होना पड़ता। मेरे घर में दस रुपए भी नहीं है। लेकिन फिर कभी ये दस्तावेज लाओ, कभी ये फोटो कॉपी लाओ। इधर उधर से उधार लेकर हमने सरकारी कार्यालय के चक्कर काटा, सोचा कभी सरकार सुनेगी। आज एक साल होने वाला है, इस चक्कर में दौड़ते हुए। अब अगर सुनवाई नहीं हुई तो में ये कागज ले जाकर पंचायत में जला दूंगी।
मामला अभी प्रक्रियाधीन है-पटवारी
रावदेवरा पटवारी जेठुसिंह ने बताया कि रामदेवरा में पिछले वर्ष मई में आई तेज बारिश और ओलावृष्टि के कारण दादा पोते की मौत हो गई थी। इसमें प्रशासन की तरफ से 50 हजार रुपए मृतक को दिए जाते थे। साथ ही मुख्यमंत्री चिरंजीवी दुर्घटना बीमा योजना के अंर्तगत पीड़ित परिवार ने मुआवजे की लिए आवेदन किया था। उस समय मुख्यमंत्री चिरंजीवी दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत मृतक को 5 लाख रुपए का मुआवजा मिल रहा था। सरकार की तरफ से किसी एक योजना का लाभ ही पीड़ित परिवार को मिल सकता है। इनका मुख्यमंत्री चिरंजीवी दुर्घटना बीमा योजना का निस्तारण अभी तक हो नहीं पाया है। इसलिए पीड़ित परिवार को अब तक मुआवजा नहीं मिल पाया है। मामला अभी प्रक्रिया में चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि रामदेवरा में पिछले 28 मई को अचानक से हुई तेज बारिश और ओलावृष्टि के कारण रामदेवरा के पास बकरी चरा रहे दादा पोते की दर्दनाक मौत हो गई थी। रामदेवरा के भील बस्ती निवासी कानाराम (55) पुत्र भाखरराम और उसका पोता विक्रम (12) पुत्र देवाराम 28 मई को बकरी चराने मावा गांव की तरफ गए थे। दोपहर एक बजे के करीब हुई ओलावृष्टि में दोनों की मौत हो गई। ओलावृष्टि के बाद जब घरवालों ढूंढना शुरू किया तब देर रात करीब 12 बजे दोनों के शव सुनसान क्षेत्र में पड़े मिले। आस पास कोई सुरक्षित जगह ना होने पर दोनों की मौत हो गई। इस दौरान इनके साथ 9 बकरी की भी मौत हो गई थी।