एक सुबह जब पूरा देश सोकर उठा तो दुनिया से कट चुका था... तालिबान ने अफगानिस्तान में लगाया ‘डिजिटल ताला’
सोचिए, आप एक सुबह नींद से जागें और आपके फोन में इंटरनेट न चले। न कोई वॉट्सऐप मैसेज, न कोई खबर, न ही आप दुनिया में किसी से संपर्क कर सकते हैं। यह सोचकर ही कैसा अजीब सा लगता है, है न?
अफगानिस्तान के करोड़ों लोगों के लिए यह कोई डरावनी कल्पना नहीं, बल्कि एक ऐसी हकीकत है जिसे वे जीने पर मजबूर कर दिए गए हैं। तालिबान सरकार ने पूरे देश में इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का फरमान सुना दिया है, जिससे पूरा देश एक तरह से ‘डिजिटल अंधेरे’ में डूब गया है।
क्यों उठाया तालिबान ने यह कदम?
तालिबान सरकार ने इसके पीछे एक अजीब सी दलील दी है। उनका कहना है कि इंटरनेट पर, खासकर टिकटॉक (TikTok) और पबजी (PUBG) जैसे प्लेटफॉर्म पर, ‘अनैतिक’ (immoral) सामग्री दिखाई जा रही थी जो अफगानिस्तान के युवाओं को ‘गुमराह’ कर रही थी।
पहले यह पाबंदी सिर्फ पंजशीर घाटी जैसे कुछ इलाकों में लगाई गई थी, जहां तालिबान का विरोध सबसे ज्यादा होता है। लेकिन अब, इस फैसले को पूरे देश पर लागू कर दिया गया है, जिससे अफगानिस्तान बाकी दुनिया से लगभग पूरी तरह कट गया है।
यह सिर्फ इंटरनेट का बंद होना नहीं है
यह फैसला सिर्फ मनोरंजन या सोशल मीडिया पर रोक लगाना नहीं है। इसके परिणाम बहुत गहरे और खतरनाक हैं:
- सच पर ताला: अब दुनिया को आसानी से यह पता नहीं चल पाएगा कि अफगानिस्तान के अंदर असल में हो क्या रहा है। लोगों पर हो रहे अत्याचार या उनकी तकलीफों की कहानियां अब देश की सीमाओं में ही दफन हो जाएंगी।
- आवाज का दबना: जो लोग दबी हुई आवाज में दुनिया को अपनी हालत बताना चाहते थे, उनके लिए यह आखिरी रास्ता भी बंद हो गया है।
- एक अंधेरे दौर की वापसी: यह कदम तालिबान के उस पुराने दौर की याद दिलाता है जब उन्होंने टीवी, संगीत और आधुनिक दुनिया की हर चीज पर पाबंदी लगा दी थी। यह अफगानिस्तान को एक बार फिर से दुनिया से अलग-थलग करने जैसा है।
यह सिर्फ इंटरनेट पर लगी पाबंदी नहीं है, बल्कि यह लोगों की आजादी, उनकी आवाज और उनकी खुली आंखों पर लगाया गया एक ताला है, ताकि अंदर की चीखें बाहर की दुनिया तक न पहुंच सकें।
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