अहमदाबाद: दुनिया की सबसे बड़ी कोयला कंपनी और भारत की नवरत्न कोल इंडिया लिमिटेड ने अनुबंधित मात्रा पर सभी प्रतिबंध हटाकर बिजली उत्पादन इकाइयों को कोयला आपूर्ति के सभी दरवाजे खोल दिए हैं। अब से कोल इंडिया के साथ ईंधन आपूर्ति समझौता (एफएसए) वाला कोई भी बिजली संयंत्र अपनी आवश्यकता के अनुसार कोयला खरीद सकता है।
एक नियामक फाइलिंग में कंपनी ने कहा, “कोल इंडिया ने स्वतंत्र बिजली संयंत्रों या निजी स्वामित्व वाली इकाइयों सहित देश के सभी थर्मल पावर प्लांटों को वार्षिक अनुबंधित मात्रा (एसीक्यू) से अधिक कोयले की आपूर्ति का रास्ता खोल दिया है।” जून के सप्ताह में कोल इंडिया के बोर्ड ने ACQ से अधिक आपूर्ति करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी यह नया प्रावधान व्यवसाय करने में आसानी और लचीलापन लाएगा और काम के दोहराव को रोकेगा।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बिजली संयंत्र को अतिरिक्त आपूर्ति कोल इंडिया के साथ अनुबंध मूल्य पर ही की जाएगी। इससे पहले, बिजली संयंत्रों को ACQ से अधिकतम 120 प्रतिशत आपूर्ति की ही अनुमति थी।
ACQ की अवधारणा को पहली बार 2007 में शुरू की गई नई कोयला विकास नीति में पेश किया गया था। उस समय आपूर्ति सीमा 80 से 90 प्रतिशत थी जिसे कोल इंडिया के पास कोयले की अतिरिक्त उपलब्धता के कारण 2022-23 के अंत में संयंत्र की आवश्यकता का 100 प्रतिशत और 2023-24 में 120 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया था।
कोल इंडिया के पास वर्तमान में 7.2 करोड़ टन का कोयला भंडार है, जो 12 अगस्त, 2023 के 4.9 करोड़ टन से 47 प्रतिशत अधिक है।
बिजली संयंत्रों के पास राष्ट्रीय औसत 14 दिनों का कोयला भंडार है, जो पिछले कुछ वर्षों की तुलना में मानसून के महीनों में रिकॉर्ड ऊंचाई है।