एक तरफ़ भारत-चीन से झगड़ा, दूसरी तरफ़ ट्रंप का 'पंगा'... बुरी तरह फँस गया कनाडा
दुनिया की राजनीति इस वक्त एक ऐसी फिल्म की तरह हो गई है, जिसमें हीरो कौन है, विलेन कौन है, और कौन बस साइड में खड़ा popcorn खा रहा है, कुछ समझ नहीं आ रहा। इस पूरी कहानी के बीच में एक देश बुरी तरह फँस गया है - कनाडा।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इस समय एक ऐसी मुश्किल में हैं, जहाँ उनके लिए 'आगे कुआँ, पीछे खाई' वाली हालत हो गई है।
कनाडा की मुसीबत क्या है?
कनाडा इस वक्त दुनिया की दो बड़ी ताक़तों - भारत और चीन - दोनों के साथ तनाव में उलझा हुआ है।
- भारत के साथ: निज्जर हत्याकांड के आरोपों के बाद भारत के साथ कनाडा के रिश्ते इतिहास के सबसे ख़राब दौर में हैं। दोनों देशों के बीच बातचीत लगभग बंद है।
- चीन के साथ: वहीं, चीन के साथ भी जासूसी और मानवाधिकारों के मुद्दों पर कनाडा के रिश्ते पहले से ही तनावपूर्ण चल रहे हैं।
अब, कनाडा इस आग को बुझाने की कोशिश कर रहा है। वह एक 'शांतिदूत' की भूमिका निभाते हुए भारत और चीन, दोनों के साथ अपने रिश्तों को सुधारना चाहता है और तनाव को कम करना चाहता है।
कहानी में ट्विस्ट: डोनाल्ड ट्रंप की एंट्री
कनाडा एक तरफ़ तो शांति और बातचीत का झंडा लेकर चल रहा है... लेकिन कहानी में एक बहुत बड़ा ट्विस्ट आ गया है, और उस ट्विस्ट का नाम है - डोनाल्ड ट्रंप।
डोनाल्ड ट्रंप, जो व्हाइट हाउस में वापसी के लिए पूरा ज़ोर लगा रहे हैं, कनाडा की इस 'शांति की पहल' पर पानी फेरते नज़र आ रहे हैं। जहाँ कनाडा रिश्तों को नरम करने की कोशिश कर रहा है, वहीं ट्रंप माहौल को और गरम कर रहे हैं।
ट्रंप चीन के ख़िलाफ़ और भी ज़्यादा सख़्त होने का ऐलान कर रहे हैं। उनकी नीतियां टकराव वाली हैं, बातचीत वाली नहीं।
अब कनाडा क्या करे?
कनाडा के लिए मुश्किल यह हो गई है कि वह करे तो क्या करे?
अगर वह भारत और चीन के साथ रिश्तों को सुधारने के लिए बहुत ज़्यादा नरम रुख अपनाता है, तो उसका सबसे बड़ा पड़ोसी और सहयोगी अमेरिका (ख़ासकर अगर ट्रंप वापस आते हैं) उससे नाराज़ हो सकता है।
और अगर वह ट्रंप की तरह सख़्त रवैया अपनाता है, तो भारत और चीन के साथ उसके रिश्ते और भी ज़्यादा बिगड़ जाएंगे, जो वह बिल्कुल नहीं चाहता।
सीधे शब्दों में कहें तो, कनाडा एक ऐसी नाव पर सवार है, जिसके दोनों तरफ़ तूफ़ान है। एक तरफ़ भारत और चीन का तनाव है, और दूसरी तरफ़ डोनाल्ड ट्रंप की अप्रत्याशित और आक्रामक राजनीति का ख़तरा। जस्टिन ट्रूडो को अब इन दोनों तूफ़ानों के बीच से अपनी नाव को सुरक्षित निकालना है, और यह काम बिल्कुल भी आसान नहीं होने वाला।
अब दुनिया देख रही है कि कनाडा इस 'चक्रव्यूह' से कैसे बाहर निकलता है।
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