किसानों के मुद्दों को समझने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की पहली बैठक, बिना एक्सपर्ट के शामिल हुए दोनों राज्यों के अधिकारी

चंडीगढ़: सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और किसानों की अन्य मांगों को समझने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने बुधवार को अपनी पहली बैठक की। बैठक में चर्चा के बाद विशेषज्ञों ने किसानों के धरने के कारण बंद पड़े नेशनल हाईवे को खोलने के लिए किए गए प्रयासों पर चर्चा की और किसान संगठन इस पर किस हद तक सहमत हुए, इस पर कमेटी ने पंजाब पुलिस से रिपोर्ट तलब की है. जो कि समिति के समक्ष गुरुवार को होने वाली बैठक में रखा जायेगा.

हरियाणा निवास में सेवानिवृत्त न्यायाधीश नवाब सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में पूर्व डीजीपीपी एस संधू, किसान नीति विशेषज्ञ देवेन्द्र शर्मा, आर्थिक नीति विशेषज्ञ प्रो. रणजीत सिंह घुम्मन और प्रो. सुखपाल सिंह शामिल हुए। जबकि प्रो. बैठक में विशेष निमंत्रण पर दोनों राज्यों के मुख्य सचिव और डीजीपी बीआर कंबोज के अलावा गृह सचिव भी मौजूद रहे.

बैठक के दौरान अधिकारियों ने पिछले छह माह से धरने पर बैठे किसानों की समस्याओं को समझने का प्रयास किया. विशेषज्ञ जानना चाहते थे कि किसानों के धरने के कारण बंद नेशनल हाईवे को खोलने के लिए अब तक क्या प्रयास किए गए हैं और किसानों को मनाने के लिए क्या प्रयास किए गए? कमेटी ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों से अब तक किए गए प्रयासों और पंजाब पुलिस प्रमुख से कानून व्यवस्था की स्थिति की जानकारी ली. दोनों राज्यों के अधिकारियों ने शंभू बॉर्डर पर केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ किसान संगठनों की छह बैठकें कराने में अहम भूमिका निभाने वाली पंजाब पुलिस, इंटेलिजेंस विंग आदि के अब तक किए गए प्रयासों की जानकारी दी। चर्चा के बाद कमेटी ने पुलिस से मोर्चे को लेकर रिपोर्ट मांगी है, जिसे कल होने वाली बैठक में कमेटी के सामने रखा जाएगा.

बैठक में शंभू बैरियर पर किसानों द्वारा लगाए गए मोर्चे को हटाने पर गंभीरता से चर्चा हुई. कमेटी इस संबंध में किसान संगठनों से भी बात करेगी और जरूरत पड़ी तो उनके पास भी जाएगी. बताया जा रहा है कि बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि शंभू बैरियर पर धरना ही एकमात्र मुद्दा नहीं है, किसानों के और भी मुद्दे हैं जिन पर विचार करने की जरूरत है.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दी है. एमएस स्वामीनाथन के फॉर्मूले के मुताबिक फसलों की कीमत तय करने को लेकर फरवरी महीने में किसान संगठनों के साथ छह बैठकें हुईं. इन बैठकों में केंद्रीय मंत्रियों ने गेहूं, धान, कपास, मक्का, दलहन और तिलहन को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का आश्वासन दिया था, लेकिन किसान सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने की गारंटी पर सहमत नहीं हैं की खरीद किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की ओर मार्च करना चाहते थे, लेकिन हरियाणा सरकार ने उन्हें शंभू बैरियर पर रोक दिया. किसान पिछले छह महीने से वहां धरना दे रहे हैं. जिसके चलते दोनों पक्षों के बीच बातचीत बंद हो गई. जून महीने में नई केंद्र सरकार के गठन के बावजूद ये बातचीत शुरू नहीं हो पाई है. जानकारी है कि समिति अगली बैठक कल या अगले दिन कर सकती है.