Ocular Teratoma : पटना में सच हो गई ,डॉक्टरों ने बच्चे की आंख से निकाला असली दांत

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News India Live, Digital Desk: बचपन से हम सबने एक कहावत जरूर सुनी होगी - "आंख में दांत आना." इसका मतलब होता है किसी से बहुत ज्यादा दुश्मनी या जलन होना. लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि यह कहावत किसी के लिए हकीकत बन सकती है? क्या सच में किसी की आंख के अंदर दांत निकल सकता है?

सुनकर ही शरीर में एक अजीब सी झुरझुरी हो जाती है, लेकिन बिहार के पटना में डॉक्टरों ने एक ऐसा ही हैरान करने वाला कारनामा कर दिखाया है. यहां IGIMS अस्पताल में डॉक्टरों ने एक ढाई साल के बच्चे की आंख में उग आए एक असली दांत को ऑपरेशन करके सफलतापूर्वक बाहर निकाला है.

यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि एक दुर्लभ मेडिकल सच्चाई है.

क्या था यह पूरा मामला?

बिहार के मुंगेर जिले का रहने वाला एक ढाई साल का बच्चा अपनी आंख की एक अजीब समस्या से परेशान था. उसकी आंख में एक सफेद रंग की गांठ बन गई थी, जो धीरे-धीरे बड़ी होती जा रही थी. बच्चे को देखने में भी दिक्कत होने लगी थी. परेशान माता-पिता अपने बच्चे को लेकर पटना के IGIMS अस्पताल पहुंचे.

जब पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजी (बच्चों की आंखों के रोग) विभाग के डॉक्टरों ने बच्चे की जांच की, तो वे भी हैरान रह गए. आंख के अंदर जो गांठ दिख रही थी, वो कोई मामूली ट्यूमर नहीं था, बल्कि उसके अंदर एक पूरी तरह से विकसित दांत था!

क्या है यह दुर्लभ बीमारी?

मेडिकल की भाषा में इस बेहद दुर्लभ स्थिति को ऑक्यूलर टेराटोमा (Ocular Teratoma) या लिम्बल डर्मोइड (Limbal Dermoid) कहते हैं. यह एक तरह का जन्मजात ट्यूमर होता है, जिसमें शरीर के दूसरे हिस्सों के टिश्यू (जैसे बाल, हड्डी, मांसपेशी या दांत) आंख जैसे अंग में विकसित हो जाते हैं.

IGIMS के डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी लाखों में किसी एक को होती है. यह केस इसलिए भी खास था क्योंकि ट्यूमर के अंदर पूरा का पूरा दांत मिलना और भी ज्यादा दुर्लभ है.

कैसे हुआ ये चमत्कारिक ऑपरेशन?

विभागाध्यक्ष डॉ. निलेश मोहन के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने इस मुश्किल ऑपरेशन को अंजाम दिया. यह ऑपरेशन बहुत ही नाजुक था, क्योंकि जरा सी भी गलती से बच्चे की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती थी. लेकिन डॉक्टरों ने बड़ी ही सावधानी से उस ट्यूमर और उसके अंदर मौजूद दांत को बच्चे की आंख से बाहर निकाल लिया.

राहत की बात यह है कि ऑपरेशन पूरी तरह से सफल रहा और बच्चे की आंखों की रोशनी भी बच गई. यह मामला पटना IGIMS और बिहार के मेडिकल इतिहास के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. इसने एक बार फिर साबित कर दिया कि कभी-कभी जो बातें हमें सिर्फ कहावतों में नामुमकिन लगती हैं, विज्ञान उन्हें भी सच कर दिखाता है.

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