Nushrat Bharucha Reveals: बॉलीवुड में ऑफ स्क्रीन भी कैजुअल सेक्सिज्म और भेदभाव का होता है सामना

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News India Live, Digital Desk: Nushrat Bharucha Reveals:  बॉलीवुड एक ऐसी दुनिया है जहाँ पर्दे पर जितनी चमक दिखती है, उससे कहीं ज्यादा संघर्ष और अनकही कहानियाँ भी हैं। इसी सच को अब अभिनेत्री नुसरत भरूचा ने सामने रखा है, जिन्होंने हाल ही में साझा किया है कि उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में 'ऑफ-स्क्रीन' भी 'कैजुअल सेक्सिज्म' और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सिर्फ उनके साथ नहीं है, बल्कि उद्योग में बहुत सी महिलाएं इससे गुज़रती हैं।

नुसरत के अनुसार, यह हमेशा प्रत्यक्ष रूप से कोई बुरा व्यवहार नहीं होता, बल्कि अक्सर सूक्ष्म और अनकही बातों में छुपा होता है, जो हर महिला को अक्सर झेलनी पड़ती हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा अक्सर तब होता है जब लोग उनके निर्णय लेने की क्षमता पर सवाल उठाते हैं या यह मान लेते हैं कि किसी खास तरह का काम एक महिला नहीं कर सकती। उनके कहने का मतलब है कि, "यहां हर कोई आपको बता देगा कि एक महिला होने के नाते आपको क्या करना चाहिए।" ये टिप्पणियां या सलाह भले ही सुनने में सामान्य लगें, लेकिन असल में वे महिला कलाकारों के प्रति इंडस्ट्री में मौजूद गहरे लिंग-भेद वाले दृष्टिकोण को उजागर करती हैं।

यह दर्शाता है कि ग्लैमर और सफलता की इस चकाचौंध के पीछे, फिल्मी दुनिया में अभी भी लिंग आधारित भूमिकाओं और उम्मीदों का बोलबाला है। चाहे वह काम के चुनाव को लेकर सलाह देना हो, कपड़े पहनने के तरीके पर टिप्पणी करना हो, या किसी महत्वपूर्ण चर्चा में किसी महिला को अनदेखा करना हो, नुसरत का कहना है कि ये सभी 'कैजुअल सेक्सिज्म' के ही उदाहरण हैं जो अक्सर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं, लेकिन इनके मानसिक प्रभाव गहरे होते हैं।

उनकी यह बात एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करती है कि क्या ग्लैमर से भरपूर इस उद्योग में महिलाएं truly स्वतंत्र और सुरक्षित महसूस कर सकती हैं? नुसरत का यह खुलासे यह दिखाता है कि बॉलीवुड में समानता और सम्मान के लिए लड़ाई सिर्फ onscreen पर ही नहीं, बल्कि सेट के बाहर की वास्तविक बातचीत और सोच में भी लड़ी जानी बाकी है। उनका यह बयान एक जरूरी बातचीत की शुरुआत करती है जो इस इंडस्ट्री को और अधिक समावेशी बनाने में मदद कर सकती है।

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