पंजाब की डिब्रूगढ़ जेल में बंद खालिस्तानी नेता और सांसद अमृतपाल सिंह के सात सहयोगियों को लेकर पंजाब :सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने अमृतपाल के 7 सहयोगियों के खिलाफ एनएसए के तहत एनएसए की अवधि नहीं बढ़ाने और उन पर मुकदमा चलाने का फैसला किया है। ये सभी आरोपी अजनाला पुलिस स्टेशन पर हमले के आरोपी हैं।
अमृतपाल के 7 साथियों को सुनवाई के लिए पंजाब लाया जाएगा
सूत्रों के अनुसार, अमृतपाल सिंह के सात सहयोगी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं, जिनके खिलाफ पंजाब सरकार ने एनएसए की अवधि नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। सरकार अजनाला पुलिस स्टेशन पर हमले के सभी सात आरोपियों पर मुकदमा चलाना चाहती है। सरकार ने यह भी कहा है कि सभी सातों आरोपियों को पंजाब लाया जाएगा, जिसके बाद उनके खिलाफ मामला शुरू किया जाएगा। हालांकि सरकार ने अभी तक अमृतपाल और उसके दो साथियों के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है।
सांसद अमृतपाल को 54 दिन की छुट्टी मंजूर
इससे पहले केंद्र सरकार ने पंजाब के खडूर साहिब निर्वाचन क्षेत्र से सांसद अमृतपाल सिंह के संबंध में हरियाणा अदालत को सूचित किया था कि जेल में बंद सांसद को 54 दिन की छुट्टी दी गई है। यह जानकारी अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सतपाल जैन ने मुख्य न्यायाधीश शील नागू एवं न्यायमूर्ति सुमित गोयल की खंडपीठ के समक्ष 11 मार्च को लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी पत्र पेश करते हुए दी।
अमृतपाल को संसद से निकाले जाने की आशंका खत्म
पत्र में कहा गया है कि अमृतपाल सिंह को 24 जून 2024 से 2 जुलाई 2024 तक, 22 जुलाई 2024 से 9 अगस्त 2024 तक तथा 25 नवंबर 2024 से 20 दिसंबर 2024 तक अवकाश प्रदान किया गया है। इस मुद्दे पर पीठ ने कहा, ‘याचिकाकर्ता (अमृतपाल) को संसद से निकाले जाने का डर था, हालांकि, इस पत्र ने उस चिंता को दूर कर दिया है। अमृतपाल ने याचिका में मांग की थी कि सांसद निधि से संबंधित स्थानीय विकास कार्यों के लिए अधिकारियों और मंत्रियों से मिलने की अनुमति दी जाए, जिस पर कोर्ट ने कहा कि संसद की कार्यवाही कुछ नियमों के अधीन होती है, इसलिए याचिकाकर्ता को इस मुद्दे पर लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष आवेदन करना चाहिए।
अमृतपाल डिब्रूगढ़ जेल में बंद
वारिस पंजाब दे संगठन के अध्यक्ष अमृतपाल सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। उन्होंने आवेदन देकर लोकसभा सत्र में भाग लेने की अनुमति मांगी थी। उन्होंने कहा कि मेरी लगातार अनुपस्थिति के कारण संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है, जिसके कारण उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोग प्रतिनिधित्वविहीन रह गए हैं। उन्होंने तर्क दिया कि यदि मैं 60 दिनों तक लोकसभा से अनुपस्थित रहा तो मेरी सीट रिक्त घोषित हो सकती है, जिसका असर 19 लाख मतदाताओं पर पड़ सकता है।