झारखंड में अब दफ्तर नहीं, आपका दरवाजा खटखटाएगी सरकार CM सोरेन का ऐतिहासिक ऐलान

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News India Live, Digital Desk: झारखंड के आम लोगों के लिए एक ऐसी खबर आई है, जो सरकारी कामकाज के इतिहास में एक नया अध्याय लिख सकती है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ऐलान किया है कि राज्य में जल्द ही एक नया कानून बनाया जाएगा, जिसके तहत सरकारी अधिकारी खुद लोगों के घर-घर जाकर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ देंगे। अब किसी भी गरीब, किसान, महिला या बुजुर्ग को अपना हक पाने के लिए सरकारी दफ्तरों की धूल नहीं फांकनी पड़ेगी, बल्कि 'सरकार' खुद उनके दरवाजे पर दस्तक देगी।

हेमंत सोरेन ने यह ऐतिहासिक घोषणा "आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार" कार्यक्रम के एक समारोह के दौरान की। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम अब सिर्फ कुछ दिनों का कैंप नहीं रहेगा, बल्कि इसे एक स्थायी कानूनी जामा पहनाया जाएगा, ताकि यह व्यवस्था हमेशा के लिए लागू हो जाए।

क्यों पड़ी इस कानून की जरूरत?

मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में आम आदमी के दर्द को बयां करते हुए कहा, "पहले हमारी माताएं-बहनें, हमारे बुजुर्ग और किसान भाई पेंशन, राशन कार्ड या किसी अन्य योजना के लिए ब्लॉक और दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते थक जाते थे। उनकी चप्पलें घिस जाती थीं, लेकिन काम नहीं होता था। इस सिस्टम में बिचौलिए और दलाल पनप रहे थे। हमने इस पूरी व्यवस्था को ही बदलने का फैसला किया है।"

उन्होंने कहा कि "सरकार आपके द्वार" कार्यक्रम की अपार सफलता ने यह साबित कर दिया है कि अगर सरकार की नीयत साफ हो, तो योजनाओं का लाभ बिना किसी परेशानी के सीधे जरूरतमंदों तक पहुंचाया जा सकता है। इसी सफलता को देखते हुए अब इसे एक स्थायी कानून का रूप दिया जा रहा है, ताकि भविष्य में आने वाली कोई भी सरकार इस जन-हितैषी व्यवस्था को बदल न सके।

अब 'अफसरशाही' नहीं, 'जनता का राज' होगा

हेमंत सोरेन ने साफ शब्दों में चेतावनी दी कि इस कानून के बनने के बाद अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी। उन्हें गांव-गांव और घर-घर जाकर यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी योग्य व्यक्ति सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित न रह जाए।

इस कानून से आम आदमी को मिलेंगे ये बड़े फायदे:

  • घर बैठे मिलेगा योजनाओं का लाभ: वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, राशन कार्ड और 'अबुआ आवास योजना' (झारखंड सरकार की आवास योजना) जैसी सभी प्रमुख योजनाओं का लाभ लोगों को उनके घर पर ही दिया जाएगा।
  • बिचौलियों और दलालों का खेल खत्म: जब सारा काम घर पर ही हो जाएगा, तो सरकारी दफ्तरों के बाहर घूमने वाले बिचौलियों का नेटवर्क अपने आप टूट जाएगा।
  • समय और पैसे दोनों की बचत: ग्रामीणों को अब दफ्तरों तक आने-जाने में अपना कीमती समय और मेहनत की कमाई बर्बाद नहीं करनी पड़ेगी।
  • अधिकारियों की सीधी जवाबदेही: कानून बनने के बाद अगर कोई अधिकारी काम में आनाकानी करता है, तो उसके खिलाफ सीधी कार्रवाई करना आसान हो जाएगा।

मुख्यमंत्री ने यह भी याद दिलाया कि उनकी सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन को 500 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये प्रति माह कर दिया है और इसकी पात्रता की उम्र 60 साल से घटाकर 50 साल कर दी है, ताकि ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंदों को समय पर सम्मानजनक सहारा मिल सके।

यह फैसला झारखंड के दूर-दराज के गांवों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है, जो अब तक अपने ही हक के लिए सिस्टम से लड़ते आए हैं।

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