अब Zomato-Swiggy वालों की भी टेंशन खत्म! सरकार लाई पेंशन स्कीम, बुढ़ापे में नहीं होगी पैसों की किल्लत

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देश में लाखों Zomato, Swiggy, Uber, Ola और Urban Company जैसे प्लेटफॉर्म्स के लिए काम करने वाले 'गिग वर्कर्स' के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी है। अब तक जिन्हें रिटायरमेंट की सुरक्षा से दूर माना जाता था, सरकार ने उनके भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने NPS e-Shramik प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, जिसके तहत अब ये कामगार भी नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) का हिस्सा बन सकेंगे।

अब तक NPS का फायदा सिर्फ सरकारी या प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वालों को ही मिलता था, लेकिन अब यह सुविधा देश के लाखों फ्रीलांसरों और गिग वर्कर्स के लिए भी खोल दी गई है।

क्यों है यह एक गेम-चेंजर?

भारत में लाखों लोग गिग इकॉनमी का हिस्सा हैं, जो दिन-रात मेहनत तो करते हैं, लेकिन उन्हें पारंपरिक नौकरियों की तरह प्रोविडेंट फंड या पेंशन जैसी कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलती। बुढ़ापे में उनके पास कोई नियमित आय का जरिया नहीं होता। सरकार की यह नई पहल इसी कमी को दूर करेगी और उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान करेगी।

कैसे काम करेगी यह योजना? जुड़ना कितना आसान?

इस योजना से जुड़ना और इसमें योगदान करना बेहद सरल बनाया गया है, ताकि हर कोई इसका लाभ उठा सके।

  • बनेगा आपका  PRAN: हर वर्कर का एक परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (PRAN) बनाया जाएगा, जो उनका निजी पेंशन खाता होगा।
  • आसान रजिस्ट्रेशन: रजिस्ट्रेशन के लिए सिर्फ आधार, पैन, बैंक डिटेल और मोबाइल नंबर की जरूरत होगी।
  • योगदान के तीन रास्ते: वर्कर अपनी सुविधानुसार योगदान कर सकते हैं:
    1. कंपनी और वर्कर, दोनों मिलकर योगदान करें।
    2. सिर्फ वर्कर अपनी तरफ से पैसे जमा करे।
    3. सिर्फ कंपनी वर्कर के लिए योगदान करे।
  • नाम मात्र का खर्च: सबसे अच्छी बात यह है कि इस योजना में कोई भी रजिस्ट्रेशन फीस नहीं है और सालाना मेंटेनेंस चार्ज भी सिर्फ 15 रुपये रखा गया है।

हालांकि, NPS का न्यूनतम मानक योगदान 500 रुपये है, लेकिन कुछ प्लेटफॉर्म अपने वर्कर्स के लिए 99 रुपये प्रति माह जैसे छोटे योगदान से भी शुरुआत कर सकते हैं।

भविष्य की सुरक्षा की ओर एक बड़ा कदम

एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह कदम भारत की गिग इकॉनमी को एक नई पहचान और सुरक्षा देगा। इससे न केवल फ्रीलांसरों और डिलीवरी पार्टनर्स का भविष्य सुरक्षित होगा, बल्कि उनमें बचत और निवेश की आदत भी पड़ेगी। यह योजना युवा पेशेवरों को वित्तीय अनुशासन सिखाने में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।

सरकार की यह पहल उन लाखों युवाओं के लिए एक वरदान है जो पारंपरिक 9-से-5 की नौकरी के बजाय स्वतंत्र रूप से काम करना पसंद करते हैं। नियमित योगदान से यह उनके लिए बुढ़ापे की एक मजबूत लाठी साबित होगी।

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