क्लासरूम में पढ़ाई ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य भी है ज़रूरी! जानिए कैसे यह बच्चों की बदल सकता है ज़िंदगी

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मानसिक स्वास्थ्य पर शिक्षा या तो स्कूलों में दी ही नहीं जाती या फिर उसे बहुत कम महत्व दिया जाता है। इसका नतीजा यह होता है कि छात्र अपनी मानसिक समस्याओं से अनजान रह जाते हैं।

भारतीय शिक्षा प्रणाली का मुख्य ध्यान अभी भी अकादमिक प्रदर्शन पर है, जिसमें छात्रों के समग्र विकास को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य पर शिक्षा या तो दी ही नहीं जाती या फिर उसे बहुत कम महत्व दिया जाता है। इसका नतीजा यह होता है कि छात्र अपनी मानसिक समस्याओं से अनजान रहते हैं और उन्हें अनदेखा करने से अक्सर गंभीर मानसिक समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक और मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता डॉ. अरविंद ओट्टा ने कहा कि हाल के अध्ययनों से पता चला है कि छात्रों में चिंता, अवसाद और यहां तक ​​कि आत्महत्या की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करना समय की मांग बन गई है।

मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा की आवश्यकता

प्रारंभिक हस्तक्षेप के लिए: मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को शुरुआती चरण में पहचानने के लिए स्कूल एक अच्छी जगह है। अगर बच्चों को कम उम्र से ही मानसिक स्वास्थ्य के बारे में सिखाया जाए, तो किसी भी समस्या का समय रहते इलाज किया जा सकता है।

प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने की क्षमता: मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा छात्रों के प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के कौशल में सुधार करती है, जिससे वे तनाव को बेहतर ढंग से संभाल पाते हैं और असफलता का सामना करते समय मानसिक रूप से मजबूत बने रहते हैं।

कलंक को कम करना: भारतीय समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति अभी भी एक कलंक है। जब इसे स्कूली शिक्षा में शामिल किया जाता है, तो छात्र मानसिक स्वास्थ्य को सामान्य जीवन का हिस्सा समझते हैं और बिना किसी डर के मदद मांग सकते हैं।

बेहतर शैक्षणिक प्रदर्शन: मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध छात्रों के संज्ञानात्मक कार्यों और सीखने की क्षमता से है। एक स्वस्थ मानसिकता छात्रों की ध्यान, स्मरण शक्ति और तर्क क्षमता में सुधार करती है, जिससे उनका शैक्षणिक प्रदर्शन बेहतर होता है।

सामाजिक संबंधों में सुधार: मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा छात्रों को आत्म-जागरूक और सहानुभूतिपूर्ण बनाती है, जिससे उन्हें अपने दोस्तों, शिक्षकों और परिवार के साथ बेहतर संबंध बनाने में मदद मिलती है।

मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा में चुनौतियाँ

पारंपरिक समाज मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करने से हिचकिचाता है और इसे एक संवेदनशील मुद्दा मानता है।

प्रशिक्षित परामर्शदाताओं की कमी है, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।

ऐसा डर है कि मानसिक स्वास्थ्य को जोड़ने से पहले से ही व्यस्त पाठ्यक्रम में और अधिक तनाव बढ़ जाएगा।

मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा के लिए समाधान

मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करना, शिक्षकों को प्रशिक्षित करना, परामर्श सेवाएँ स्थापित करना, सुरक्षित और सहायक वातावरण बनाना तथा अभिभावकों की भागीदारी सुनिश्चित करना इसे सफल बना सकता है। मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा समाज में इस विषय के बारे में जागरूकता लाने में मदद करेगी तथा छात्रों को एक स्वस्थ मानसिकता विकसित करने में मदद करेगी। इसके अलावा गैर-लाभकारी संगठनों और मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के साथ मिलकर इस मुद्दे पर और अधिक काम किया जा सकता है।