जयपुर, 10 जुलाई (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री अशाेक गहलाेत ने कहा है कि आज राजस्थान सरकार द्वारा लाए गए बजट का शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा से कोई सरोकार नहीं लगता है। इस बजट से ना जनता को राहत मिली है और ना ही कोई विकास का रोडमैप बन रहा है।
गहलाेत बुधवार काे वित्त मंत्र दीया कुमारी द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत राजस्थान बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। उन्हाेंने कहा कि हमारी सरकार ने मिशन 2030 के तहत राजस्थान को नंबर 1 बनाने का लक्ष्य रखा था। मुझे आशा थी कि हमारी सरकार जाने के बाद भाजपा सरकार कम से कम राजस्थान की बेहतरी के लिए इस मिशन को ध्यान में रखकर काम करेगी और विकास की बेहतरीन योजनाएं लाएगी। आज राजस्थान सरकार द्वारा लाए गए बजट का शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा से कोई सरोकार नहीं लगता है।
गहलाेत ने कहा कि हमारी सरकार द्वारा इन क्षेत्रों में चलाई गईं योजनाओं एवं किए गए कामों में कमी बजट के आंकड़ों में साफ दिखाई दे रही है। इस बजट से ना जनता को राहत मिली है और ना ही कोई विकास का रोडमैप बन रहा है। पिछले 10 साल से जैसा केन्द्र सरकार का बजट नीरस एवं दिशाहीन होता है वैसे ही आज राजस्थान सरकार का बजट भी नीरस और दिशाहीन आया है। जनता को उम्मीद थी कि मोदीजी की गारंटी के मुताबिक पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम की जाएंगी परन्तु ऐसा नहीं किया गया। बल्कि हमारी सरकार की महंगाई से राहत देने वाली योजनाओं जैसे 100 यूनिट फ्री बिजली, अन्नपूर्णा राशन किट, इन्दिरा रसोई, फ्री कृषि बिजली आदि के लिए कोई बजट आंवटन नहीं किया है यानी आने वाले दिनों में जनता को महंगाई का सामना करना पड़ेगा। बजट के दिन ही रोडवेज एसी बसों का किराया 10 पैसे प्रति किलोमीटर बढ़ाकर सरकार ने अपना उद्देश्य जाहिर कर दिया है।
गहलाेत ने आराेप लगाया कि सरकार ने बजट में नए ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे की डीपीआर बनाने की घोषणा कर वाहवाही लेने का प्रयास किया है। हमारी सरकार प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र को 10 करोड़ रुपये सड़कों के लिए देती थी जिसे इस सरकार ने 5 करोड़ रुपये कर दिया है। यह दिखाता है कि ये सरकार काम में नहीं सिर्फ पैकेजिंग में भरोसा करती है। उन्हाेंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि 25 लाख रुपये राशि वाली चिरंजीवी बीमा योजना की जगह पर ये सरकार 5 लाख रुपये राशि की आयुष्मान भारत योजना को लागू करना चाहती है। चिरंजीवी योजना में राजस्थान का प्रत्येक परिवार कवर था पर आयुष्मान भारत में प्रदेश की 50 प्रतिशत आबादी भी शामिल नहीं होगी। चिरंजीवी योजना में बड़ी संख्या में अस्पताल शामिल थे पर आयुष्मान योजना में अस्पतालों की संख्या बेहद कम है। ओपीएस को लेकर भी सरकार की कोई राय बजट में नहीं आई है। केन्द्रीय वित्त मंत्री लगातार आेपीएस का विरोध करती रही हैं परन्तु राज्य की वित्त मंत्री ने आेपीएस पर कोई राय नहीं रखी जिससे राज्य के कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति है। सरकार को आेपीएस पर अपनी राय स्पष्ट करनी चाहिए।