बिना कानूनी प्रक्रिया के किसी का घर नहीं तोड़ा जा सकता.. बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट की कार्रवाई

झारखंड हाई कोर्ट:  गढ़वा के सीईओ द्वारा अशोक कुमार को जारी नोटिस के मामले में सोमवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. हाई कोर्ट ने कहा कि बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाए किसी का घर नहीं तोड़ा जा सकता. सीईओ ने याचिकाकर्ता को 24 घंटे के अंदर अपने घर के सभी दस्तावेज दिखाने को कहा. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करना अतिक्रमण माना जाएगा.

गढ़वां के अशोक कुमार ने इस मामले में याचिका दायर की, जिसकी सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह आदेश दिया. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार को लगता है कि आवास निर्माण अवैध और जबरन है तो भी कानून के मुताबिक सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद ही कार्रवाई की जा सकती है.

24 घंटे के भीतर सभी दस्तावेज मांगे गए

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि 10 मार्च 2024 को गढ़वा के सीईओ ने नोटिस जारी कर 24 घंटे के अंदर बिल्डिंग के सभी दस्तावेज पेश करने का आदेश दिया था. कहा गया कि दस्तावेज़ प्रस्तुत न करना अतिचार माना जाएगा। आवेदक ने 11 मार्च को सीईओ के पास सभी दस्तावेज जमा कर दिए। जिसके बाद सर्किल इंस्पेक्टर और गढ़वा पुलिस आवास पर पहुंची. इमारत की मापी कर उसे सील कर दिया गया। याचिकाकर्ता ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की.