बुंदेलखंड की इस सीट से 72 साल में आज तक कोई भी निर्दलीय नहीं बना सांसद

हमीरपुर, 31 मई (हि.स.)। हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट से गुजरे 72 साल में आज तक कोई भी निर्दलीय सांसद नहीं बन सका। इस संसदीय क्षेत्र में शुरू से लेकर अब तक सांसद बनने के लिए बड़ी संख्या में निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव मैदान में भाग्य आजमाया है लेकिन यहां की जनता ने कांग्रेस और भाजपा समेत दो क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टियों के प्रत्याशियों पर ही भरोसा जताया है। इसीलिए इस सीट पर सर्वाधिक कांग्रेस से ही चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे है। इस रेकार्ड को अबकी बार भाजपा तोड़ भी सकती है।

बुंदेलखंड की हमीरपुर-महोबा लोकसभा सीट पर अब तक अठारह बार आम चुनाव हुए है। गुजरे बहत्तर सालों में लोकसभा केचुनाव में कांग्रेस और अन्य राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों के साथ ही तमाम निर्दलीय लोग भी चुनाव मैदान में आए लेकिन शुरुआती दौर में जनता ने कांग्रेस पर ज्यादा ही भरोसा जताया है। इसीलिए छह बार कांग्रेस का ही यहां की सीट पर लम्बे समय तक जलवा कायम रहा था। छह बार कांग्रेस ने सीट पर जीत दर्ज कराई जबकि भाजपा के कब्जे में पांच बार यह सीट रही। वहीं बसपा ने दो बार और सपा ने सिर्फ एक बार यहां की सीट पर जीत दर्ज कराई है।

कांग्रेस के एक माननीय ने संसदीय सीट पर हैट्रिक लगाई थी। लोकसभा हमीरपुर सीट पर बीते 72 सालों में पहली बार 1996 में 41 प्रत्याशी चुनाव मैदान में भाग्य आजमाने चुनाव मैदान में आए थे। इनमें भाजपा, कांग्रेस व अन्य दलीय प्रत्याशियों के अलावा दर्जनों निर्दलीयों ने दलीय प्रत्याशियों के समीकरण बिगाड़े थे। बावजूद भाजपा ने जीत दर्ज कराई थी। वर्ष 1998 में बारह, 1999 में सोलह, 2004 में पन्द्रह, 2009 में पन्द्रह, 2014 में पन्द्रह व 2019 के लोकसभा चुनाव में चौदह प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इस बार दलीय प्रत्याशियों के अलावा आठ निर्दलीय लोग चुनाव मैदान में आकर जातीय समीकरण को कही न कही झटका दिया है।

संसदीय सीट पर जनता दल और सपा नेताओं को एक-एक बार मिली जीत

हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट वर्ष 1989 में जनता दल के कब्जे में आई थी। यहां से पहली बार गंगाचरण राजपूत सांसद बने थे। जनता दल की लहर में कांग्रेस का सफाया हो गया था। यहां बीएसपी तीसरे स्थान पर रही थी जबकि एक निर्दलीय के खाते में 4.3 फीसदी मत आए थे। इसी तरह से 2004 के आम चुनाव में पहली बार यहां की सीट पर सपा ने जीत का परचम फहराया था। जबकि 1996 से सपा हमीरपुर-महोबा सीट पर कब्जा करने के लिए जोर आजमाइश कर रही थी।

प्रतिष्ठा की हमीरपुर सीट से बसपा के माननीय दो बार ही चुनाव जीतकर पहुंचे लोकसभा

पिछले बहत्तर सालों में बसपा ने हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट पर दो बार कब्जा कर सपा को पछाड़ा है। वर्ष 1989 से बसपा ने आम चुनाव में इन्ट्री की थी, लेकिन जनता दल की लहर के कारण बसपा 14.4 फीसदी मत पाकर तीसरे स्थान पर रही। बसपा की चुनावी गणित में पहली बार 1999 में यहां की सीट पर बंपर जीत हुई थी जबकि 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने दूसरी बार सीट पर जीत दर्ज कराई थी। पिछले दो चुनावों में भाजपा की सुनामी में बसपा दूसरे स्थान पर रही।

अबकी बार भी चुनाव मैदान में तमाम निर्दल प्रत्याशियों के कारण भाजपा लगा सकती है हैट्रिक

बुंदेलखंड की हमीरपुर लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा, सपा और बसपा के अलावा आठ निर्दलीय उम्मीदवारों ने सांसद बनने के लिए सपने देखे हैं। लेकिन बड़ी संख्या में निर्दलीयों के कारण साइकिल और हाथी को ही नुकसान होने के कयास लगाए जा रहे हैं। इस बार मतदान में इंडिया गठबंधन की साइकिल और कमल के बीच कड़ी टक्कर हुई है, जिससे कुछ इलाकों में साइकिल ने रेस पकड़ी है लेकिन इसके बावजूद यहां संसदीय सीट पर कम वोटों के अंतर से भाजपा हैट्रिक लगा सकती है।