बिहार की राजनीति में 14 दिसंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान ने हलचल मचा दी। उनके एक बयान से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में असमंजस का माहौल बन गया। इसके बाद, मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के प्रमुख नीतीश कुमार ने ऐसी चुप्पी साधी कि दिल्ली से पटना तक सहयोगी दल बेचैन हो गए।
नीतीश कुमार ने आखिरकार 28 दिसंबर को सीतामढ़ी में अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा,
“हम दो बार गलती से इधर-उधर (महागठबंधन) चले गए थे। अब हमेशा एनडीए के साथ रहेंगे और बिहार व देश का विकास करेंगे।”
अमित शाह के बयान और राजनीतिक अटकलें
दिल्ली में एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में, अमित शाह ने जब एकनाथ शिंदे का उदाहरण देते हुए बिहार में नेतृत्व को लेकर सवाल उठाए, तो राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई। अमित शाह ने कहा:
“इस तरह के कार्यक्रमों में फैसले नहीं होते। सब लोग साथ बैठकर तय करेंगे और समय पर जानकारी दी जाएगी।”
इस बयान को यह संकेत माना गया कि 2025 के विधानसभा चुनाव में एनडीए का नेतृत्व नीतीश कुमार करेंगे या नहीं, इस पर अभी भाजपा ने अंतिम निर्णय नहीं लिया है।
भाजपा के नेता नीतीश के समर्थन में
अमित शाह के बयान के बाद बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने स्पष्ट किया कि चुनाव नीतीश के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। हालांकि, जल्द ही उन्होंने यह भी कहा कि नेतृत्व का अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान करेगा।
- भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, जैसे सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, और गिरिराज सिंह, ने लगातार नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात दोहराई।
- गिरिराज सिंह ने तो यहां तक कहा कि नीतीश कुमार को भारत रत्न दिया जाना चाहिए।
नीतीश कुमार की चुप्पी और जेडीयू का कड़ा रुख
नीतीश कुमार ने चार दिनों तक चुप्पी साधे रखी। यहां तक कि 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में भी उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी।
- प्रगति यात्रा के तहत सीतामढ़ी पहुंचे नीतीश ने पहली बार बयान दिया:
“हम अब कहीं नहीं जाएंगे। हमेशा एनडीए के साथ रहेंगे।”
- जेडीयू ने सोशल मीडिया पर पोस्टर जारी कर स्पष्ट किया कि बिहार की राजनीति में नेतृत्व सिर्फ नीतीश कुमार का रहेगा।
भाजपा की कोर ग्रुप बैठक और अंतिम फैसला
23 दिसंबर को हरियाणा के सूरजकुंड में भाजपा की कोर ग्रुप की बैठक हुई। दो दिनों के मंथन के बाद भाजपा ने औपचारिक रूप से घोषणा की कि 2025 के चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे।
विजय कुमार सिन्हा ने कहा,
“अटल बिहारी वाजपेयी के सबसे चहेते नीतीश कुमार ने बिहार में सुशासन स्थापित किया और जंगलराज का अंत किया। आगे भी बिहार में एनडीए की सरकार नीतीश जी के नेतृत्व में बनी रहेगी।”
नीतीश का महागठबंधन से एनडीए तक का सफर
- 2020: एनडीए के नेतृत्व में बिहार विधानसभा चुनाव हुए और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने।
- 2022: नीतीश ने महागठबंधन का दामन थामा और आरजेडी के साथ सरकार बनाई।
- 2024: जनवरी में नीतीश ने एनडीए में वापसी की।
क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार?
नीतीश कुमार के एनडीए में लौटने के बाद यह पहला मौका था जब उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े हुए।
- भाजपा के शुरुआती संकेतों से भ्रम पैदा हुआ, लेकिन बाद में समर्थन स्पष्ट किया गया।
- जेडीयू ने इसे अपनी राजनीतिक मजबूती के रूप में देखा और नीतीश के नेतृत्व को अपरिहार्य बताया।
2025 के चुनाव की तैयारी
बिहार में 2025 के अंत में विधानसभा चुनाव संभावित हैं। एनडीए के लिए नीतीश कुमार का नेतृत्व मजबूत कड़ी साबित हो सकता है, खासकर जब भाजपा ने एकजुट होकर उनके नेतृत्व को स्वीकार कर लिया है।
बिहार की राजनीति में यह घटनाक्रम बताता है कि भले ही मतभेद हों, लेकिन गठबंधन की रणनीति में नीतीश कुमार का कद अभी भी बरकरार है।