बिहार कैबिनेट विस्तार: चुनाव से पहले नीतीश कुमार का बड़ा दांव, जातीय संतुलन साधने की कोशिश

20250126 Pat Sk Mn Republic Day

बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर तक विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए सहयोगी दल भाजपा के सात विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलवाई। राजभवन, पटना में आयोजित इस समारोह में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सभी नए मंत्रियों को शपथ दिलाई।

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मंत्रिमंडल में शामिल नए मंत्री

इस विस्तार में भाजपा के जिन सात विधायकों को मंत्री बनाया गया है, उनके नाम इस प्रकार हैं:

  1. जिबेश कुमार
  2. संजय सरावगी
  3. सुनील कुमार
  4. राजू कुमार सिंह
  5. मोती लाल प्रसाद
  6. विजय कुमार मंडल
  7. कृष्ण कुमार मंटू

अब कितने मंत्री, किस दल को कितनी सीटें?

कैबिनेट विस्तार के बाद मंत्रियों की कुल संख्या 36 हो गई है। इससे पहले यह संख्या 30 थी। नए समीकरण के अनुसार:

  • भाजपा: 21 मंत्री
  • जेडीयू: 13 मंत्री
  • हम (HUM): 1 मंत्री
  • निर्दलीय: 1 मंत्री

जातिगत समीकरण: किस जाति से कितने मंत्री?

चुनाव को ध्यान में रखते हुए जातीय संतुलन साधने की कोशिश की गई है।

1. सामान्य वर्ग (सवर्ण) – 11 मंत्री

  • राजपूत: 5
  • भूमिहार: 3
  • ब्राह्मण: 2
  • कायस्थ: 1

2. पिछड़ा वर्ग (OBC) – 10 मंत्री

  • कोइरी-कुशवाहा: 4
  • कुर्मी: 3
  • वैश्य: 2
  • यादव: 1

3. अति पिछड़ा वर्ग (EBC) – 7 मंत्री

  • मल्लाह: 3
  • कहार: 1
  • तेली: 1
  • धानुक: 1
  • नोनिया: 1

4. अनुसूचित जाति (SC) – 5 मंत्री

  • पासवान: 2
  • रविदास: 2
  • पासी: 1

5. महादलित समुदाय – 2 मंत्री

  • मुसहर: 2

6. मुस्लिम समुदाय – 1 मंत्री

  • पठान: 1

क्या जातिगत संतुलन बना?

नीतीश कुमार ने ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ के सिद्धांत पर अमल करने की कोशिश की है, लेकिन अति पिछड़ा वर्ग (EBC) को अब भी उसकी जनसंख्या के अनुपात में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है।

  • पिछड़ा वर्ग (OBC) की आबादी 27.12% है और उसे 28% हिस्सेदारी मिली।
  • अनुसूचित जाति (SC) की आबादी 19.65% है और उसे 19% प्रतिनिधित्व मिला।
  • EBC की आबादी 36% है, लेकिन हिस्सेदारी सिर्फ 19% मिली।
  • सवर्ण की आबादी 15.52% है, लेकिन हिस्सेदारी लगभग दोगुनी मिली।

चुनाव से पहले क्या संदेश?

  • भाजपा के सात मंत्रियों को शामिल कर गठबंधन को मजबूत करने का संकेत।
  • जातिगत संतुलन साधकर हर समुदाय को साधने की रणनीति।
  • अति पिछड़ा वर्ग (EBC) को कम हिस्सेदारी मिलने से राजनीतिक बहस संभव।

अब देखना होगा कि क्या यह कैबिनेट विस्तार नीतीश कुमार और भाजपा के गठबंधन को चुनाव में फायदा पहुंचाता है या नहीं।