नीतीश कुमार रेड्डी का पहला टेस्ट शतक: पिता को समर्पित की यादगार पारी

Ap12 28 2024 000140a 0 173539167

भारतीय ऑलराउंडर नीतीश कुमार रेड्डी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जारी चौथे टेस्ट मैच में अपने करियर का पहला शतक लगाया और इसे अपने पिता को समर्पित किया। तीसरे दिन का खेल समाप्त होने के बाद, नीतीश ने सोशल मीडिया पर दो खास पोस्ट शेयर किए। इनमें से एक पोस्ट उनके पिता के लिए था, जबकि दूसरे में उन्होंने मोहम्मद सिराज का जिक्र करते हुए उनका आभार व्यक्त किया।

नीतीश का भावुक संदेश

नीतीश ने अपनी पोस्ट में लिखा,
“ये आपके लिए है, डैड।”
यह संदेश उनके पिता के प्रति उनके गहरे सम्मान और प्यार को दर्शाता है, जो स्टेडियम में मौजूद होकर बेटे की इस शानदार पारी के गवाह बने।

इसके अलावा, उन्होंने सिराज के साथ की एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा,
“मुझे भी सिराज भाई पर भरोसा है।”
यह संदेश उस अहम समय को याद करता है जब सिराज ने अपनी सूझबूझ से क्रीज पर टिककर नीतीश को शतक पूरा करने का मौका दिया।

सिराज की अहम भूमिका

नीतीश 97 रन पर खेल रहे थे जब वॉशिंगटन सुंदर के आउट होने से भारत संकट में आ गया। इसके बाद, जसप्रीत बुमराह बिना खाता खोले पवेलियन लौट गए। नीतीश उस समय 99 रन पर नाबाद थे, और टीम का आखिरी विकेट शेष था। ऐसे में मोहम्मद सिराज ने तीन महत्वपूर्ण गेंदें खेलकर क्रीज पर अपना विकेट बचाए रखा। सिराज की इस सूझबूझ के बाद, नीतीश ने अगले ओवर में अपना शतक पूरा किया।

शतक के बाद खास जश्न

नीतीश ने शतक पूरा करने के बाद ‘सालार’ शैली में जश्न मनाया। यह जश्न उनके पिता के प्रति उनके सम्मान का प्रतीक था। उनके पिता, मुत्याला रेड्डी, भारतीय टीम के डगआउट के पीछे बैठे इस ऐतिहासिक क्षण को देख रहे थे।

नीतीश की पारी ने भारत को संभाला

नीतीश की नाबाद 105 रनों की पारी की बदौलत भारत ने अपनी पहली पारी में स्टंप तक 358/9 का स्कोर बनाया। यह पारी न केवल भारत को मैच में बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण रही, बल्कि नीतीश की काबिलियत और धैर्य को भी साबित करती है।

ऑस्ट्रेलिया दौरे की नई खोज बने नीतीश कुमार

पर्थ में अपना पहला टेस्ट खेल रहे नीतीश कुमार ने दो शानदार पारियां खेलकर सभी का ध्यान आकर्षित किया। उनकी बल्लेबाजी न केवल तकनीकी रूप से मजबूत थी, बल्कि कठिन परिस्थितियों में खेली गई थी। उनके इस प्रदर्शन ने उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे की सबसे बड़ी खोज बना दिया है।

नीतीश कुमार रेड्डी का यह शतक न केवल उनके करियर के लिए मील का पत्थर है, बल्कि उनके पिता और भारतीय क्रिकेट के लिए भी एक यादगार क्षण बन गया है।