एनजीटी का आदेश और सुनवाई की स्थिति, परियोजना की संरचना और प्रस्तावित योजना

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लखनऊ के कुकरैल में प्रस्तावित देश की पहली नाइट सफारी पर संकट के बादल छा गए हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण से जुड़ी एक याचिका पर गंभीर चिंता जताते हुए परियोजना पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने केंद्रीय और राज्य पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभागों के साथ प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) को नोटिस जारी किया है। साथ ही, कुकरैल में पेड़ों की कटाई और लखनऊ चिड़ियाघर को वहां स्थानांतरित करने पर भी रोक लगा दी गई है।

एनजीटी का आदेश और सुनवाई की स्थिति

एनजीटी की नई दिल्ली पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल ए वेल शामिल हैं, ने 24 दिसंबर को अपने आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि 21 अप्रैल 2025 को अगली सुनवाई तक कुकरैल रिजर्व फॉरेस्ट में किसी भी पेड़ की कटाई न हो।

इसके अलावा, एनजीटी ने राज्य को ई-फाइलिंग के माध्यम से हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है, जिसे सुनवाई से एक सप्ताह पहले प्रस्तुत करना होगा। इस मामले में याचिकाकर्ता लखनऊ के सामाजिक कार्यकर्ता आलोक सिंह हैं, जिन्होंने कुकरैल जंगल में पेड़ों की कटाई और नाइट सफारी परियोजना से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को लेकर यह याचिका दायर की है।

1500 पेड़ों की कटाई पर चिंता

याचिकाकर्ता आलोक सिंह के अनुसार, इस परियोजना के तहत लगभग 1500 पेड़ों की कटाई का प्रस्ताव है। कुकरैल रिजर्व फॉरेस्ट की लगभग 50% वन भूमि का उपयोग इस परियोजना के लिए किया जाएगा। उन्होंने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि यह परियोजना जंगल के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करेगी और जलवायु परिवर्तन पर नकारात्मक असर डालेगी।

परियोजना की संरचना और प्रस्तावित योजना

कुकरैल में बनने वाली यह नाइट सफारी 2027.46 हेक्टेयर जंगल क्षेत्र में फैलेगी, जिसमें से 900 एकड़ भूमि का उपयोग किया जाएगा। इस परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट (डीपीआर) 19 नवंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने पेश की गई थी। इसे केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) से सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। हालांकि, डीपीआर की समीक्षा अभी चल रही है।

नाइट सफारी: एक अनूठी पहल

कुकरैल की प्रस्तावित नाइट सफारी भारत की पहली और दुनिया की पांचवीं नाइट सफारी होगी। इसे एक नाइट चिड़ियाघर के तौर पर भी विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा, इस परियोजना में 20 टेंटों वाली एक टेंट सिटी की योजना बनाई गई है, जहां लोग पारिवारिक समारोहों और पर्यटक गतिविधियों का आनंद ले सकेंगे।

लखनऊ चिड़ियाघर को भी हजरतगंज से कुकरैल स्थानांतरित किया जाएगा, जिससे दिन और रात के चिड़ियाघर पास-पास स्थित होंगे। यह संयोजन इसे एक विशेष पर्यटन स्थल बनाएगा।

पर्यावरणीय प्रभाव और विरोध

हालांकि, इस परियोजना का पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। हजारों घने पेड़ों की कटाई से जंगल की पारिस्थितिकी प्रभावित होगी। इससे वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों में भी बाधा उत्पन्न होगी।

आलोक सिंह का कहना है कि कुकरैल जंगल का उपयोग इस तरह की परियोजना के लिए करना अनुचित है। जंगल न केवल लखनऊ के लिए एक हरा-भरा क्षेत्र है, बल्कि इसका जलवायु संतुलन में भी महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह परियोजना दीर्घकालिक पर्यावरणीय नुकसान पहुंचा सकती है।

आगे की राह

एनजीटी ने इस मामले में सुनवाई के दौरान सभी पक्षों को शामिल करते हुए राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि परियोजना को लेकर आगे कोई कदम उठाने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव का गहन अध्ययन किया जाए।

नाइट सफारी की योजना अपने आप में अनूठी है, लेकिन पर्यावरणीय चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इसे संतुलित दृष्टिकोण के साथ लागू करना आवश्यक है। अब, अगली सुनवाई में यह देखा जाएगा कि इस परियोजना का भविष्य क्या होगा।