नजूल अध्यादेश की चुनौती याचिका की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को

प्रयागराज, 05 अप्रैल (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति वी के बिड़ला तथा न्यायमूर्ति एस क्यू एच रिजवी की खंडपीठ ने नजूल अध्यादेश की वैधता को चुनौती में दाखिल डॉ अशोक तेहलियानी की याचिका की सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया है और नामित अन्य पीठ के समक्ष सुनवाई हेतु 18 अप्रैल को पेश करने का निर्देश दिया है।

पिछली तिथि पर राज्य सरकार से कोर्ट ने जानकारी मांगी थी। मुख्य स्थाई अधिवक्ता कुणाल रवि ने कहा था अभी तक याची की बेदखली या कोई निर्माण हटाने का कदम नहीं उठाया गया है। इस बयान पर कोर्ट ने अंतरिम आदेश जरूरी नहीं समझा था।

मालूम हो कि राज्य सरकार ने 1992 में नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने की नीति लागू की। जिसके चलते नजूल भूमि के पट्टेदारों या आधिपत्य रखने वालों ने निर्धारित शुल्क जमा कर जमीनें फ्रीहोल्ड कराईं। शहरों में भारी मात्रा में नजूल भूमि को जिलाधिकारी द्वारा फ्रीहोल्ड किया गया और कंक्रीट के जंगल खड़े हो गये।

सरकार को अपनी विकास योजनाओं पर अमल के लिए जमीन की कमी महसूस होने लगी। तो सरकारी नीति में बदलाव का फैसला लेते हुए नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड करने पर रोक लगाने का राज्य सरकार ने यह अध्यादेश जारी किया है। इस अध्यादेश से न केवल फ्रीहोल्ड करने से रोक दिया गया है अपितु पट्टा अवधि समाप्त होने के बाद आगे न बढ़ाने का फैसला लिया है।