डोनाल्ड ट्रम्प पर टिप्पणी के बाद न्यूजीलैंड के उच्चायुक्त फिल गोफ को पद से हटाया गया

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एक तरफ न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम टी20 विश्व कप के फाइनल में जगह बनाकर इसकी तैयारी कर रही है। दूसरी ओर, देश की राजनीति में बड़ी उथल-पुथल मची हुई है। ब्रिटेन में न्यूजीलैंड के उच्चायुक्त फिल गॉफ को उनके पद से हटा दिया गया है। यह कार्रवाई उनके उस बयान के बाद की गई जिसमें उन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इतिहास के ज्ञान पर सवाल उठाया था। इस निर्णय के बाद न्यूजीलैंड की विदेश नीति को लेकर देश में गरमागरम बहस छिड़ गई है।

 

दरअसल, फिल गॉफ ने लंदन में आयोजित एक पैनल चर्चा के दौरान यूक्रेन युद्ध की स्थिति की तुलना 1938 के म्यूनिख समझौते से की, जिसके तहत हिटलर के नेतृत्व में नाजी जर्मनी को चेकोस्लोवाकिया के कुछ हिस्सों पर कब्जा करने की अनुमति दी गई थी। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि चर्चिल ने 1938 में ब्रिटिश संसद में प्रधानमंत्री नेविल चेम्बरलेन से कहा था, ‘आपके पास युद्ध और अपमान के बीच चयन करने का विकल्प था।’ आपने अपमान चुना, लेकिन फिर भी आपको युद्ध ही मिला।’ इसके बाद गॉफ ने पूछा, ‘राष्ट्रपति ट्रंप ने ओवल ऑफिस में चर्चिल की प्रतिमा पुनः स्थापित कर दी, लेकिन क्या वह वास्तव में इतिहास को समझते हैं?’

विदेश मंत्री ने कार्रवाई की।

उनके बयान के बाद न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने कड़ा रुख अपनाया और कहा कि गॉफ का अपने पद पर बने रहना असंभव है। पीटर्स ने कहा कि जब कोई व्यक्ति महत्वपूर्ण राजनयिक पद पर होता है, तो वह सरकार और उसकी नीतियों का प्रतिनिधित्व करता है। “आप अपने विचार स्वतंत्र रूप से व्यक्त नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, “आप न्यूजीलैंड का चेहरा हैं।” इस विवाद के बाद न्यूजीलैंड के विदेश मंत्रालय ने भी पुष्टि की है कि फिल गॉफ को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और देश में उनकी वापसी को लेकर चर्चा चल रही है। हालाँकि, मंत्रालय ने इस मुद्दे पर आगे कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

फिल गोफ की बर्खास्तगी पर बहस

फिल गोफ की बर्खास्तगी पर देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क ने इस निर्णय की आलोचना करते हुए इसे “बहुत कमजोर बहाना” बताया। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार की ऐतिहासिक तुलना हाल ही में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में की गई थी, जिसमें अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस सहित कई वैश्विक नेताओं ने भाग लिया था।

फिल गोफ का राजनीतिक जीवन लम्बा और प्रभावशाली रहा है। ब्रिटेन में उच्चायुक्त बनने से पहले, उन्होंने न्यूजीलैंड सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्री पदों पर कार्य किया। इसके अलावा, उन्होंने ओकलैंड के मेयर के रूप में भी दो कार्यकाल पूरे किये हैं। उनकी बर्खास्तगी से न्यूजीलैंड के राजनयिक हलकों में खलबली मच गई है।

न्यूजीलैंड की विदेश नीति पर उठे सवाल

इस घटनाक्रम ने न्यूजीलैंड की स्वतंत्र विदेश नीति के बारे में एक नई बहस छेड़ दी है। क्या राजनयिकों को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर स्वतंत्र रूप से अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है? क्या न्यूजीलैंड अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों की आलोचना से बचने के लिए अपने राजनयिकों पर ऐसे प्रतिबंध लगा सकता है? ये प्रश्न अब न्यूजीलैंड की स्थानीय राजनीति में बहस का केन्द्र बन गए हैं। फिलहाल न्यूजीलैंड की जनता और राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें सरकार की अगली प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। क्या यह महज कूटनीतिक भूल थी या सरकार की नीतियों के प्रति सख्ती दिखाने का प्रयास? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जाएंगे।