जैसे-जैसे नया साल करीब आता जा रहा है, दुनियाभर के लोग 2025 का स्वागत करने की तैयारियों में जुटे हैं। 31 दिसंबर की रात जैसे ही घड़ी की सुई 12 पर पहुंचेगी, नए साल का जश्न शुरू हो जाएगा। लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ पार्टी करेंगे, घूमने जाएंगे, और खुशियां मनाएंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में नया साल अलग-अलग समय पर आता है? आइए जानते हैं कि सबसे पहले और सबसे आखिर में नए साल का जश्न कहां मनाया जाएगा।
सबसे पहले कहां आएगा नया साल?
2025 का स्वागत सबसे पहले प्रशांत महासागर के किरिबाती गणराज्य के क्रिसमस द्वीप (किरीटीमाटी) पर किया जाएगा।
- भारतीय समयानुसार: यहां 31 दिसंबर को दोपहर 3:31 बजे नया साल शुरू होगा।
- इसके तुरंत बाद न्यूजीलैंड के चैथम द्वीप पर लोग जश्न मनाना शुरू करेंगे।
- न्यूजीलैंड के प्रमुख शहर ऑकलैंड और वेलिंगटन में भी इसके कुछ ही समय बाद नया साल दस्तक देगा।
ऑस्ट्रेलिया में नए साल का जश्न
न्यूजीलैंड के बाद नया साल ऑस्ट्रेलिया पहुंचेगा।
- सबसे पहले सिडनी, मेलबर्न, और कैनबरा में 2025 का स्वागत किया जाएगा।
- इसके बाद छोटे शहर जैसे एडिलेड, ब्रोकन हिल, और सेडुना में जश्न होगा।
- उत्तरी ऑस्ट्रेलिया और क्वींसलैंड के कुछ हिस्सों में नया साल थोड़ी देरी से आएगा।
जापान, कोरिया और चीन में नए साल की शुरुआत
- जब जापान, दक्षिण कोरिया, और उत्तर कोरिया में लोग 2025 का जश्न मना रहे होंगे, तब भारत में घड़ी रात के 8:30 बजा रही होगी।
- इसके बाद चीन, फिलीपींस, और सिंगापुर में नया साल मनाया जाएगा।
भारत में नए साल का समय
- भारत में नया साल 31 दिसंबर की आधी रात (12:00 बजे) दस्तक देगा।
- इसी समय श्रीलंका में भी नया साल मनाया जाएगा।
- भारत से पहले इंडोनेशिया, थाईलैंड, म्यांमार, बांग्लादेश, और नेपाल जैसे देशों में नया साल शुरू हो चुका होगा।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान में 2025 का आगमन
- भारत के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान में नया साल पहुंचेगा।
- इन देशों में भारतीय समय से लगभग 30 मिनट और 1 घंटा पीछे नए साल का जश्न मनाया जाएगा।
सबसे आखिर में कहां पहुंचेगा नया साल?
दुनिया में 2025 का स्वागत करने वाले आखिरी स्थान होंगे बेकर और हाउलैंड द्वीप। ये द्वीप हवाई के दक्षिण-पश्चिम में स्थित हैं और निर्जन हैं।
- भारतीय समयानुसार: यहां 1 जनवरी को शाम 5:30 बजे नया साल दस्तक देगा।
नए साल के जश्न की यह अनोखी यात्रा
नया साल अपनी शुरुआत किरिबाती से करता है और धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैलता है। सबसे पहले प्रशांत महासागर के छोटे द्वीप इसे गले लगाते हैं, फिर एशिया, यूरोप, और अमेरिका तक इसका सफर जारी रहता है। आखिर में यह हवाई के पास स्थित निर्जन द्वीपों तक पहुंचता है।